श्रीनाथ सिंह वाक्य
उच्चारण: [ sherinaath sinh ]
उदाहरण वाक्य
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- अपर सत्र न्यायाधीश श्रीनाथ सिंह ने दहेज हत्या के एक मामले में मृत विवाहिता के पति, सास व ससुर को दस वर्ष के कठोर कारावास व तीन-तीन हजार रुपए....
- विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, श्री रस्किन बांड, डा. प्रभाकर माचवे, पी. डी. टंडन, रतनलाल शर्मा, श्रीनाथ सिंह, रामदरश मिश्र, डा.
- इस काल के बाल साहित्यकारों में कामताप्रसाद गुरु, मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, सुखदेव चौबे, विद्याभूषण, विशु, गिरजा दत्त शुक्ल, श्रीनाथ सिंह, सोहनलाल द्विवेदी, रामेश्वर गुरु, आदि प्रमुख हैं।
- परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के
- प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके क़दमों पर आगे बढ़ी, 50-60 के दशक में 'रेणु', 'नागार्जुन' और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके क़दमों पर आगे बढ़ी, 50-60 के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- [22] प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- [18] प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५०-६० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
- ' ' इण्डियन प्रेस, इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली मासिक ' सरस्वती ' के दिसम्बर, 1933 के अंक में मुंशी जी की एक कहानी ' सद्गति ' प्रकाशित हुई तो श्रीनाथ सिंह ने उस कहानी के आधार पर ' घृणा के प्रचारक प्रेमचन्दÓ लेख लिखकर मुंशी जी पर निहायत घृणास्पद आक्रमण किया।
- प्रेमचंद ने हिन्दी में कहानी की एक परंपरा को जन्म दिया और एक पूरी पीढ़ी उनके कदमों पर आगे बढ़ी, ५ ०-६ ० के दशक में रेणु, नागार्जुन और इनके बाद श्रीनाथ सिंह ने ग्रामीण परिवेश की कहानियाँ लिखी हैं, वो एक तरह से प्रेमचंद की परंपरा के तारतम्य में आती हैं।
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