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श्रीमद्भागवद्गीता वाक्य

उच्चारण: [ sherimedbhaagavedgaitaa ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २ ३ वे श्लोक की व्याख्या स्वामी रामसुखदास जी ने कुछ इस प्रकार की है...............
  • श्रीमद्भागवद्गीता में जो कर्म फल की इच्छा बिना कर्म के लिए कहा गया है वही प्रेम के बिषय में भी सार्थक है.
  • श्रीमद्भागवद्गीता के उपदेशों के जरिए बताने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें इराक या अफगानिस्तान भेजना कितना अपरिहार्य और जायज है।
  • श्रीमद्भागवद्गीता में जो कर्म फल की इच्छा बिना कर्म के लिए कहा गया है वही प्रेम के बिषय में भी सार्थक है.
  • वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत के प्रसंग हो या श्रीमद्भागवद्गीता, बाईबिल, कुरान शरीफ की बातें या फिर कबीरवाणी ही.
  • इस आघात से उठी गहरी टीस ने ही उन्हें आत्मतत्व का प्रतिपादन करने वाले पवित्र ग्रंथ ‘ श्रीमद्भागवद्गीता ' के रहस्यों का खुलासा करने को प्रेरित किया।
  • श्रीमद्भागवद्गीता ' को ज्ञानदेव ने श्री प्रभु (अर्थात् लक्ष्मीपति भगवान् विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण) की ‘ वाङ्मयी मूर्ति ' (वाणी का साक्षात् रूप) कहा है।
  • यह पृथ्वी अगर कई बार भी नष्ट हो जाय और सिर्फ एक ग्रंथ, श्रीमद्भागवद्गीता बचा रहे, तो इसके सहारे हम पुनः विश्व को सर्वोत्तम सभ्यता प्रदान कर सकते हैं।
  • सिर्फ ये याद रखें कि हमारे घर के सब से पवित्र जगह पर जो जिल्द वाली किताब रखी है, वो कुरान शरीफ है या श्रीमद्भागवद्गीता? सियासत चाहती है....
  • श्रीमद्भागवद्गीता के १२ वे अध्याय के १५ वे श्लोक की बहुत ही सुंदर व्याख्या स्वामी रामसुखदास जी ने की है कि भक्त कैसा होता है और कैसा भक्त भगवान को प्रिय है।
  • श्रीमद्भागवद्गीता के ७ वें अध्याय के २४ वें श्लोक की व्याख्या स्वामी रामसुखदास जी ने कुछ इस प्रकार की है जिससे परमात्मा के साकार और निराकार स्वरुप की सार्थकता समझ आती है ।
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २२ वें श्लोक में भगवान् देवताओं की उपासना के बारे में समझाते हैं और इसका बहुत ही सुंदर वर्णन स्वामी रामसुखदास जी ने इस प्रकार किया है-
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २३ वे श्लोक की व्याख्या स्वामी रामसुखदास जी ने कुछ इस प्रकार की है...............श्लोकपरन्तु उन अल्पबुद्धि वाले मनुष्यों को उन देवताओं की आराधना का फल अन्तवाला(नाशवान) ही मिलता है ।
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २२ वें श्लोक में भगवान् देवताओं की उपासना के बारे में समझाते हैं और इसका बहुत ही सुंदर वर्णन स्वामी रामसुखदास जी ने इस प्रकार किया है-श्लोक उस (मेरे द्वारा दृढ़ की हुई) श्रद्धा से युक्त होकर वह मनुष्य...
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २२ वें श्लोक में भगवान् देवताओं की उपासना के बारे में समझाते हैं और इसका बहुत ही सुंदर वर्णन स्वामी रामसुखदास जी ने इस प्रकार किया है-श्लोक उस (मेरे द्वारा दृढ़ की हुई) श्रद्धा से युक्त होकर वह मनुष्य
  • -श्रीमद्भागवद्गीता सिर्फ रोने से काम नहीं होता हर जुबां पे कलाम नहीं होता यूँ तो अब भी बहुत हैं कौशल्यायें हर कोख में मगर राम नहीं होता कुछ तो मजबूरी रही होगी यूँ ही कोई नमकहराम नहीं होता ये चलकर नहीं रुका करता समय का कोई विराम नहीं होता अजय को पत्थर ही समझना लेकिन हर पत्थर सालिग्राम नहीं होता एक आदमी का जिस्म क्या है जिस पे शैदा है जहाँ
  • श्रीमद्भागवद्गीता के सातवें अध्याय के २२ वें श्लोक में भगवान् देवताओं की उपासना के बारे में समझाते हैं और इसका बहुत ही सुंदर वर्णन स्वामी रामसुखदास जी ने इस प्रकार किया है-श्लोकउस (मेरे द्वारा दृढ़ की हुई) श्रद्धा से युक्त होकर वह मनुष्य (सकामभावपूर्वक)उस देवता की उपासना करता है और उसकी वह कामना पूरी भी होती है ;परन्तु वह कामना-पूर्ति मेरे द्वारा विहित की हुई होती है ।
  • _ भू-दान आंदोलन के प्रणेता! बाल्यावस्था में ही रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवद्गीता से प्रेरणा पाई! माहात्मा गाँधी के साथ लम्बे पत्राचार से प्रेरित होकर उनसे मिले! फिर वे गाँधी जी के अनुयायी बने! मराठी भाषा में-उपनिषद-का अनुवाद किया! गाँधी जी के और ' निकट ' हो गए! ब्रिटिश गवर्नमेंट ने इन्हें जेल में डाला! जेल के कैदियों को मराठी में गीतानुवाद सुनाते आचार्य जी ने-सजा-झेली!!
  • दाद्रिवाला ने “ निडिल लिखावट ” में लिखी मधुशाला यानि पर्ने के लिए अब शीशे की जरुरत नहीं परेगी, दुनीया की पहली मिरर इमेज granth “ श्रीमद्भागवद्गीता ” लिख रिकार्ड होल्डर, एशियन रिकार्ड होल्डर, ग्लोबल रिकार्ड होल्डर, कार्तोनिस्ट गणित में एक नयी परमे व् “ पियूष नियतांक ” की खोज कर ने वाले, दो पुस्तक “ गणित एक अध्यन ” व् “ एअस्स्य स्पेल्लिंग ” लिखने वाले पियुश्दाद्रिवाला ने एक और नया कार्य कीया हैं.
  • उक्त विचार जाने-माने अर्थशास्त्री एवं शिक्षाविद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्रीय संघ चालक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने श्री माधव राष्ट्र सेवा समिति, फरीदाबाद के तत्वाधान में सेक्टर 19 में चल रहे ' श्रीमद्भागवद्गीता व्याख्यानमाला ' के समापन समारोह के अवसर पर रखे | उन्होंने बताया कि किस प्रकार अर्जुन युद्ध के मैदान में अज्ञान जनित मोह में पड़कर अपना गांडीव छोड़ देता है और सामने खड़े अपने सगे-सम्बन्धियों को देखकर युद्ध करने से इनकार कर देता है।
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