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श्रुतकेवली वाक्य

उच्चारण: [ sherutekeveli ]
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  • मैसूर प्रान्त के नगर्ताल्लुद के ४ ६ वें शिलालेख में लिखा है-मैं तत्वार्थसूत्र के कर्ता, गुणों के मन्दिर एवं श्रुतकेवली के तुल्य श्रीउमास्वामी मुनिराज को नमस्कार करता हूँ।
  • दिगंबरों के अनुसार विष्णु, नंदी, अपराजित गोवर्धन और भद्रबाहु नामक पाँच श्रुतकेवली हुए, जबकि श्वेतांबर परंपरा में प्रभव, शय्यंभव, यशोभद्र, संभूतविजय और भद्रवाहु श्रुतकेवली माने गए हैं।
  • दिगंबरों के अनुसार विष्णु, नंदी, अपराजित गोवर्धन और भद्रबाहु नामक पाँच श्रुतकेवली हुए, जबकि श्वेतांबर परंपरा में प्रभव, शय्यंभव, यशोभद्र, संभूतविजय और भद्रवाहु श्रुतकेवली माने गए हैं।
  • किन्तु श्रुतकेवली भद्रबाहु के समय वे गंगा-यमुना के समान पुनः मिल जाती हैं तथा भद्रबाहु श्रुतकेवली के स्वर्गवास के पश्चात् जैन परम्परा स्थायी रूप से दो विभिन्न स्रोतों में प्रावाहित होने लगती है।
  • किन्तु श्रुतकेवली भद्रबाहु के समय वे गंगा-यमुना के समान पुनः मिल जाती हैं तथा भद्रबाहु श्रुतकेवली के स्वर्गवास के पश्चात् जैन परम्परा स्थायी रूप से दो विभिन्न स्रोतों में प्रावाहित होने लगती है।
  • किन्तु श्रुतकेवली भद्रबाहु के समय वे गंगा-यमुना के समान पुनः मिल जाती हैं तथा भद्रबाहु श्रुतकेवली के स्वर्गवास के पश्चात् जैन परम्परा स्थायी रूप से दो विभिन्न स्रोतों में प्रावाहित होने लगती है।
  • किन्तु श्रुतकेवली भद्रबाहु के समय वे गंगा-यमुना के समान पुनः मिल जाती हैं तथा भद्रबाहु श्रुतकेवली के स्वर्गवास के पश्चात् जैन परम्परा स्थायी रूप से दो विभिन्न स्रोतों में प्रावाहित होने लगती है।
  • श्रवणबेलगोल के कुछ शिलालेखों से इतना पता चलता है कि आप श्री भद्रबाहु श्रुतकेवली, उनके शिष्य चन्द्रगुप्तमुनि के वंशज पद्मनन्दि अपर नाम कोन्डकुन्द मुनिराज उनके वंशज उमास्वाति की वंशपरम्परा में हुए थे।
  • दिगम्बर परम्परा में भद्रबाहु का पट्टकाल २९ वर्ष माना जाता है जब कि श्वेताम्बर परम्परा में पट्टकाल १४ वर्ष बतलाय गया है तथा व्यवहार सूत्र छेदसूत्रादि ग्रन्थ भद्रबाहु श्रुतकेवली द्वारा रचित कहे जाते हैं।
  • दिगम्बर परम्परा में भद्रबाहु का पट् टकाल २ ९ वर्ष माना जाता है जब कि श्वेताम्बर परम्परा में पट् टकाल १ ४ वर्ष बतलाय गया है तथा व्यवहार सूत्र छेदसूत्रादि ग्रन्थ भद्रबाहु श्रुतकेवली द्वारा रचित कहे जाते हैं।
  • यह उत्कृष्ट पुण्य प्रकृति चौथे से 8 वें गुणस्थान तक, मनुष्य भव में, कर्म भूमि में ही, पुरूष लिंग में ही, केवली सर्वज्ञ अथवा श्रुतकेवली मुनिराज के सानिध्य ; पाद मूलद्ध में ही बंधती है।
  • दिगम्बर परम्परा में महावीर निर्वाण के पश्चात् पूर्वोक्त तीन केवली ; विष्णु आदि पांच श्रुतकेवली, विशाखाचार्य आदि ग्यारह दशपूर्वो, नक्षत्र आदि पांच एकादश अंगधारी, तथा सुभद्र आदि लोहार्य पर्यन्त चार एकांगधारी आचार्यों की वंशावली मिलती है।
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श्रुतकेवली sentences in Hindi. What are the example sentences for श्रुतकेवली? श्रुतकेवली English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.