श्वित्र वाक्य
उच्चारण: [ sheviter ]
"श्वित्र" अंग्रेज़ी में"श्वित्र" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- सिंह लग्न: बुध और शुक्र सप्तम भाव में, शनि चतुर्थ भाव में और मंगल सूर्य से अस्त हो कर षष्ठ भाव में हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- वृश्चिक लग्न: लग्नेश शनि से युक्त तथा दृष्ट हो, बुध व चंद्र लग्न में केतु से दृष्ट एवं युक्त हों और शुक्र अस्त हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- कन्या लग्न: मंगल दशम भाव में, बुध व शुक्र षष्ठ में, सूर्य और चंद्र सप्तम में तथा राहु तृतीय में हो, तो श्वित्र रोग होने की संभावना रहती है।
- मिथुन लग्न: सूर्य लग्न में बुध द्वादश भाव में, गुरु व शुक्र चतुर्थ भाव में, मंगल दशम भाव में और राहु षष्ठ में हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- धनु लग्न: लग्नेश अष्टम भाव में शनि से दृष्ट हो, चंद्र और शुक्र द्वितीय में, बुध लग्न में तथा मंगल व शनि षष्ठ में हांे, तो श्वित्र रोग होता है।
- मीन लग्न: अष्टमेश और षष्ठेश लग्न में हो कर लग्नेश पर दृष्टि रखें, बुध व शनि द्वादश भाव में और मंगल शत्रु भाव में दृष्टिहीन हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- मकर लग्न: बुध, शुक्र और लग्नेश गुरु से दृष्ट हों, मंगल राहु-केतु के प्रभाव में केंद्र में स्थित हो, चंद्र त्रिक भावों में हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- कुंभ लग्न: मंगल और लग्नेश लग्न में राहु-केतु के प्रभाव में हों, चंद्र षष्ठ में गुरु से दृष्ट हो, शुक्र व बुध केतु से दृष्ट हों, तो श्वित्र रोग होता है।
- अगर जन्मकुंडली पाप ग्रहों से प्रभावित हो रहा हो और लग्नेश कमजोर हो, बुध और शुक्र दुष्प्रभाव में हों और चंद्र राहु-केतु के प्रभाव में हो, तो श्वित्र रोग होने की संभावना रहती है।
- कर्क लग्न: बुध लग्न में राहु के साथ, सूर्य द्वादश भाव में, शुक्र एकादश में तथा मंगल अष्टम भाव में शनि से दृष्ट या युक्त हो और लग्नेश सप्तम भाव में हो तो श्वित्र रोग होता है।
- तुला लग्न: लग्नेश शुक्र षष्ठ भाव में गुरु से दृष्ट हो, बुध अस्त हो, मंगल नीच का हो कर राहु-केतु से दृष्ट हो और चंद्र शनि से दृष्ट या युक्त हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- ये साँ प हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि) काला फणियर (करैत) घास के रंग का (उपतृण्य) पीला (ब्रम) असिता रंगरहित (अलीक) दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु नागों का उल्लेख है।
- विभिन्न लग्नों में श्वित्र रोग के कारण मेष लग्न: मेष लग्न की कुंडली में लग्नेश द्वादश भाव में शनि से युति बनाए, बुध व शुक्र षष्ठ भाव में हों, चंद्र राहु-केतु से पीड़ित हो और लग्न पर राहु-केतु की दृष्टि हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- विभिन्न लग्नों में श्वित्र रोग के कारण मेष लग्न: मेष लग्न की कुंडली में लग्नेश द्वादश भाव में शनि से युति बनाए, बुध व शुक्र षष्ठ भाव में हों, चंद्र राहु-केतु से पीड़ित हो और लग्न पर राहु-केतु की दृष्टि हो, तो श्वित्र रोग होता है।
- पिछले तीन दशकों में परिषद् के नैदानिक अनुसंधान क्रियाकलाप से मलेरिया के लिए आयुष-64, अपस्मार के लिए आयुष-56, मधुमेह के लिए आयुष-82,किटिभ रोग के लिए 777 तेल, श्वित्र रोग (ल्यूकोडरमा) के लिए पूनीमिलाई चिंदूरम और गर्भ निरोधक के रुप में पिप्पल्यादि योग जैसे औषध योगों का विकास हुआ है ।
- ये नाग हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि), काला फणियर (करैत), घास के रंग का (उपतृण्य), पीला (ब्रम), असिता रंगरहित (अलीक), दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु आदि।
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श्वित्र sentences in Hindi. What are the example sentences for श्वित्र? श्वित्र English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.