हुल्लड़ मुरादाबादी वाक्य
उच्चारण: [ huleld muraadaabaadi ]
उदाहरण वाक्य
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- अच्छा ताऊ आपकी रामप्यारी की हुल्लड़ मुरादाबादी से पक्की दोस्ती नज़र आ रही है हा हा आप समझ गए होंगे ।
- नंदन जी वाली ट्रेन ' लेट' हो गई और शैल चतुर्वेदी व हुल्लड़ मुरादाबादी आदि एकदम विरोधी प्लेटफोर्म पर उतरते नज़र आए.
- इसलिए स्वाभाविक ही था कि हुल्लड़ मुरादाबादी और काका हाथरसी जैसे मशहूर कवियों के अलावा बेनाम तुक्कड़ों ने अच्छी तुकबंदियाँ पेश कीं।
- इसलिए स्वाभाविक ही था कि हुल्लड़ मुरादाबादी और काका हाथरसी जैसे मशहूर कवियों के अलावा बेनाम तुक्कड़ों ने अच्छी तुकबंदियाँ पेश कीं।
- जिस शाम काका दुर्ग आए हुए थे तब मैं किशोरावस्था में था (बकौल हुल्लड़ मुरादाबादी अब मैं अशोकावस्था में हूं) ।
- शाम छः बजे हमें आदेश हुआ कि हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी व नंदन जी आदि कई कवि अलग अलग रेलगाड़ियों से स्टेशन पहुँच रहे हैं.
- काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, ओम प्रकाश आदित्य, शैल चतुर्वेदी व प्रदीप चौबेसरीखे कवियों की रचनाओं से पहला परिचय धर्मयुग के माध्यम से ही हुआ।
- शाम छः बजे हमें आदेश हुआ कि हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी व नंदन जी आदि कई कवि अलग अलग रेलगाड़ियों से स्टेशन पहुँच रहे हैं.
- होली हो और हुडदंग न हो...तो होली का मज़ा नहीं रहता...पिछले दिनों OBO परिवार ने जम कर होली खेली....मिसरा था हुल्लड़ मुरादाबादी का.....
- कहीं दीप्ति नवल की कविता छप रही है, कहीं जगजीत सिंह की गायी गयी गज़ल, और कहीं हुल्लड़ मुरादाबादी की पैरोडी का माल चोर ले जा रहे हैं।
- हुल्लड़ मुरादाबादी जैसे हास्य कवियों के समकालीन शैल चतुर्वेदी ने 70 और 80 के दशक के बदलते राजनीतिक समीकरणों को अपनी कविताओं के व्यंग में बुनकर लोगों को हँसाया.
- कहीं दीप्ति नवल की कविता छप रही है, कहीं जगजीत सिंह की गायी गयी गज़ल, और कहीं हुल्लड़ मुरादाबादी की पैरोडी का माल चोर ले जा रहे हैं।
- विशेष नोट: ये दोहे फेसबुक पर मिले, लेकिन वहां स्पष्ट नहीं था कि यह मेरे पसंदीदा हास्य कवियों में से एक हुल्लड़ मुरादाबादी के लिखे हुए हैं अथवा नहीं... हालां...
- विशेष नोट: ये दोहे आज फेसबुक पर मिले, लेकिन वहां स्पष्ट नहीं था कि यह मेरे पसंदीदा हास्य कवियों में से एक हुल्लड़ मुरादाबादी के लिखे हुए हैं अथवा नहीं...
- लिहाजा यह कूडा़ / कविता अनूप भार्गव की मांग पर तथा हुल्लड़ मुरादाबादी की ‘अहा! जिंदगी' पत्रिका के होली अंक में छपी कविता जरूरत क्या थी से प्रेरणा लेकर लिखी जा रही है:-
- हुल्लड़ मुरादाबादी पृष्ठ 108 मूल्य $ 7. 95 सीधे शब्दों में तथा व्यंग्यात्मक लहजे में बड़ी बात कह देना मजाक नहीं है किंतु हुल्लड़ जी के लिए बहुत ही सहज है ये कला।
- विशेष नोट: ये दोहे आज फेसबुक पर मिले, लेकिन वहां स्पष्ट नहीं था कि यह मेरे पसंदीदा हास्य कवियों में से एक हुल्लड़ मुरादाबादी के लिखे हुए हैं अथवा नहीं... हा...
- अब पहले जैसे हास्य कवि तो नहीं रहे जैसे काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी और ॐ प्रकाश आदित्य जी, जो महज़ अपनी हास्य कविताओं से खूब हंसाते थे, गुदगुदाते थे.
- हुल्लड़ मुरादाबादी ने सुख और दुख पर सैंकड़ों दोहे लिखे और ग़ज़लें कही हैं, ‘ दुनिया में दुख ही दुख हैं, रोना है सिर्फ रोना, गम में मुस्कुराना सबसे बड़ी कला है।
- ऑफ हुल्लड़ मुरादाबादी हुल्लड़ मुरादाबादी 1635हर साल की तरहबुद्धिराजा773गांठहृदयेश 4564कवि कविता और घरवाली बुलाकी शर्मा787हत्या एक आकार कीहृदयेश 4498दुर्घटना के ईर्द गिर्दबुलाकी शर्मा4696भिक्षु की बेटी हेजेल लेलिन, सन्मार्ग 4174विशुद्ध चेतना और प्रक्रिया लोक जीवनबृज बिहारी सहाय2228चीफ
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