उपेन्द्र नाथ अश्क वाक्य
उच्चारण: [ upenedr naath ashek ]
उदाहरण वाक्य
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- पुस्तक में मुम्बई के आरके स्टूडियो, धर्मशाला शहर, उपेन्द्र नाथ अश्क का कल्लोवाणी मोहल्ला, कैप्टन रामसिंह ठाकुर, यशपाल का गांव, सुदर्शन फाकिर और भारतीय फिल्म व दूरदर्शन संस्थान पुणे की स्मृतियों को भी शामिल किया गया है।
- नरेश मेहता, उपेन्द्र नाथ अश्क, सरस्वती शरण कैफ, भैरव प्रसाद गुप्त, दूधनाथ सिंह और नीलाभ और भारती भंडार के सुप्रसिद्ध बैठकबाज वाचस्पति पाठक, जिन्होंने जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, इलाचंद्र जोशी, निराला-हिन्दी की महान विभूतियों की किताबें छापीं।
- इसी के समकक्ष कभी उपेन्द्र नाथ अश्क ने श्रीलाल जी को अपने एक पत्रा में लिखा था-' पिफर मैंने आपका संग्रह 'अंगद के पाँव' पढ़ा और मैंने अपनी प्रतिक्रिया विस्तार से अपनी पुस्तक 'हिन्दी कहानी: एक अंतरंग परिचय' में दी थी ;जाने आपने देखा या नहींद्ध।
- चूँकि इलाहाबाद की पुरानी परम्परा के अनुसार सम्मेलनों में सभी तरह के साहित्यकार न्योते जाते थे, इसलिए ‘ परिमल ' वाले समेलन में अज्ञेय, ताराशंकर बन्द्योपाध्याय, शिवराम कारन्त, समरेश बसु, फ़ादर कामिल बुल्के आदि के साथ-साथ यशपाल और उपेन्द्र नाथ अश्क जैसे प्रगतिशील साहित्यकार भी शामिल हुए।
- अमरकांत, इलाहाबाद, उपेन्द्र नाथ अश्क, कमलेश्वर, ज्ञानपीठ पुरस्कार, दयानंद पांडेय, दिल्ली, नामवर सिंह, प्रेमचंद, बनारस, भारतीय ज्ञानपीठ, भारतीय हिंदी साहित्य, मनोहरश्याम जोशी, महादेवी वर्मा, साहित्य अकादमी, साहित्य जगत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, हिन्दी साहित्य की मठाधीशी
- शुक्रिया एक बार फिर उपेन्द्र नाथ अश्क (संस्मरण), देवेन्द्र इस्सर (मंटो की राजनीतिक कहानियाँ), नरेन्द्र मोहन(कहानियाँ, संस्मरणों, व मुक़द्दमों की किताबें) व बलराज मेनरा तथा शरद दत्त (दस्तावेज़, 5 खंड) जैसे संपादकों का कि वे नागरी में मंटो को पुस्तकाकार लेकर आते रहे, क्योंकि उर्दू पढ़ना तो बाद में सीख पाया, और कुछ हद तक मंटो से मोहब्बत के असर में भी।
- यह अनायास नहीं है कि जिस समय उपेन्द्र नाथ अश्क ‘ महिला कथा लेखन की अर्धशती ' पर लिख रहे हों उसी समय राजेंद्र यादव, नासिरा शर्मा बनाम मृदुला गर्ग के बहाने ‘ यथास्थिति में लौटती कद्दावर औरतें ', शाल्मली और ठीकरे की मंगनी की प्रतिसमीक्षा में लिखने तथा उषा महाजन ‘ ऊबे हुए सुखियों के दुःख ' पर सफाई देने को विवश हों.
- अभी पिछले दिनों मंटो पर लिखी उपेन्द्र नाथ अश्क की किताब ' मंटो-मेरा दुश्मन ' पढ़ी और इस बादशाह लेखक के बारे में जानने को बहुत सी बातें पढ़ने को मिलीं और लगा कि यह किताब मैंने पहले क्यूं न पढ़ी … नि: संदेह मंटो मुझे भीतर तक हिला देने वाला लेखक लगता रहा है … बलराम अग्रवाल ने मंटो के ' स्याह हाशिये ' के बहाने यह लेख बड़ी ही मेहनत से लिखा है, पढ़कर लगता है …
- फिर तो विकासोन्मुख युग की शुरूआत हो गई बूढ़ा व्यापारी जगदीश चन्द्र मिश्र 1919-20, 1924 में शिवपूजन सहाय की एक अदभूत आचार्य रामचन्द्र श्रीवास्तव की बेबी, 1926 में जयशंकर प्रसाद की कलावती की सीख, 1928 में माखन लाल चतुर्वेदी की बिल्ली और बुखार 1929 में कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर की सेठजी और सलाम, 1930 में सुदर्शन की दो परमेश्वर प्रसाद की गूदड़ साई उपेन्द्र नाथ अश्क जादूगरनी, 1933 में भारतेन्दु जी की कुछ आप बीती कुछ जग बीती, भृंग तुपकरी जिदंगी क्या है।
- ई-पुस्तकेंइस संग्रह में 56 पुस्तकें हैंमुखड़ा बदल गया उपेन्द्र नाथ अश्क पृष्ठ 120 मूल्य $ 4. 95मुखड़ा बदल गया आगे...स्नेह वर्षा सुनील गंगोपाध्याय पृष्ठ 202 मूल्य $ 4.95स्नेह वर्षा... आगे...दो एकान्त नरेश मेहता पृष्ठ 163 मूल्य $ 4.95आधुनिक तनाव वाली घटना-हीन वास्तविकता को अत्यन्त सूक्ष्म शैली से प्रस्तुत किया गया है.... आगे...कन्यापक्ष विमल मित्र पृष्ठ 184 मूल्य $ 4.95इसमें उर्वशी का चरित्र-चित्रण किया गया है.... आगे...नवनिधि प्रेमचंद पृष्ठ 136 मूल्य $ 4.95प्रेमचंद की नौ कहानियों का संग्रह नवनिधि... आगे...प्रेम चतुर्थी प्रेमचंद पृष्ठ 79 मूल्य $ 0यह पुस्तक पाठको के पढ़ने के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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