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कुँवर बेचैन वाक्य

उच्चारण: [ kunevr bechain ]
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  • पद्मश्री डॉ. रघुवीर शरण मित्र की अध्यक्षता में तथा विख्यात कवि श्री हरिओम पवार के संचालन में आयोजित इस कवि सम्मेलन में काका हाथरसी, डॉ. कुँवर बेचैन, सत्यदेव भोंपू, वेदप्रकाश सुमन, राजेन्द्र राजन, विजय प्रशांत, विष्णु सरस आदि प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया।
  • इस समारोह के अध्यक्ष थे कानपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. दिनेश प्रियमन. मुख्य अतिथि थे श्री निदा फ़ाजली और लोकार्पणकर्ता डॉ. कुँवर बेचैन. कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. ए.क े. पुरोहित ने किया. श्री स्वाधीन ने स् व.न ारायणदास जाजू से जुडी यादों को श्रोताओं के सम्मुख रखा.
  • डॉ 0 कुँवर बेचैन ने ‘ सदी के प्रथम दशक का हिन्दी हाइकु काव्य ' को हाइकु-कविता-यात्रा का श्रेष्ठ सम्पादित ग्रन्थ बताया तथा कमलेश भट्ट ‘ कमल ' ने अनेक हाइकु-संकलनों को प्रस्तुत करने वाली डॉ 0 मिथिलेश दीक्षित की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने हाइकु-काव्य को अपनी विविधमुखी रचनाधर्मिता से समृद्ध किया है।
  • उन्होंने करीम कशर का शेर उद्धृत करते हुए कहा-‘ तुम्हें तो द्रौपदी सी शक्ति का साहस दिखाना है, कहाँ तक चीर खींचेगा दुशासन हार जायेगा ‘ इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता डा0 कुँवर बेचैन ने पुंडरीक एवं शेखर की कहानी सुनाते हुए कहा कि छन्द एवं शिल्प ही कविता को गद्य से अलग करता है ।
  • समिति की त्रैमासिक पत्रिका विश्व, एवं ई-विश्वा तथा समिति द्वारा अमरीका के दर्जनो शहरों में हर वर्ष आयोजित कवि-सम्मेलन, अमेरिका में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में सफल रहे हैं, जिनमें स्व० काका हाथरसी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, पघभूषण नीरज, सोम ठाकुर, स्व० डा० बृजेन्द्र अवस्थी, हुल्लड मुरादाबादी, डा० अशोक चक्रधर, सुरेंद्र शर्मा, डॉ. कुँवर बेचैन जैसे कवि भाग ले चुके हैं।
  • मैंने तुंरत खोज ख़बर ली व जो हाल हमारे पहरुओं, सुरक्षाप्रबंधों, हिन्दी-सेवकों और हिन्दी की भलाई के नामलेवाओं का देखा उसे आप भी देखिए | कुँवर बेचैन की इतनी प्रसिद्ध इस ग़ज़ल की सरे आम चोरी का यह नज़ारा हमारी पीठ थपथपाने को बहुत है कि नहीं? लोगबाग वाह वाह करते नहीं अघाते! ये हैं हमारी साहित्य-संस्कृति व समाज के भावी व वर्तमान पहरुए!!
  • इस बार 5 अप्रैल से शुरू हो कर 5 मई तक चलने वाले कवि सम्मेलनों की श्रृंखला में डॉ. सुरेश अवस्थी, डॉ. कुँवर बेचैन एवं दीपक गुप्ता की भागीदारी है और ये कवि सम्मलेन पिट्सबर्ग, वाशिंगटन डीसी, रिचमंड वर्जिनिया, रॉली नार्थ कैरोलाईना, सैन होज़े कैलिफोर्निया, नैशविल टेनिसी, न्यूओर्लीन्स, ह्युस्टन, बॉस्टन, इंडिआनापोलिस, शिकागो, सिनसिनेटी ओहाओ, डेट्रॉइट, कोलम्बस ओहाओ, क्लीवलैंड ओहाओ, टोरंटो कैनेडा, प्रिंसटन न्यूजर्सी एवं न्यूयॉर्क, अठरह जगह पर हो रहे हैं।
  • ‘ तेरे मेरे दरमियाँ ' के लोकार्पण कर्ता कवि कुँवर बेचैन ने कहा कि नारायण जाजू ने अपने शब्द संसार से कवि रसिक समाज को नयी दिशा दी है | उन्होंने हमें अपनों और औरों सभी को अपनी रचनाधर्मिता से मिलाने का काम किया है | उनकी गजलें रिश्तों को बांधती है और रिश्ते बढ़ाती हैं | उन्होंने कहा कि कविता पाठक से जुड़ जाए तो पूजा भाव में बदल जाती है | यही भाव नारायणदास जाजू की गजलों का भी है | उन्होंने बड़ी आस्था और श्रृद्धा के साथ साहित्य का सृजन किया है |
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