दिलीप सिंह भूरिया वाक्य
उच्चारण: [ dilip sinh bhuriyaa ]
उदाहरण वाक्य
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- संजय कुमार, रांची पेसा कानून के प्रणेता दिलीप सिंह भूरिया ने कहा कि ग्राम सभाओं को यदि मजबूत कर दिया जाए तो देश में बहुत हद तक भ्रष्टाचार में कमी आ जाएगी, नक्सल गतिविधियां कम होंगी, गांवों से लोगों का पलायन रुकेगा एवं आपसी विवादों के निबटारे के लिए गांवों से बाहर नहीं जाना होगा।
- कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति विष्णु सदाशिव कोकजे, अनुसूचित जाति एवं अनूसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिलीप सिंह भूरिया, मप्र भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सदस्य नंदकुमार साय, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता भिड़े, पत्रकार जगदीश उपासने, राजकुमार भारद्वाज सहित अनेक प्रमुख लोग सहभागी हैं।
- इसके पूर्व आमसभा को मंचासीन पूर्व सांसद एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दिलीप सिंह भूरिया, जिला भाजपा अध्यक्ष बजरंग पुरोहित, पूर्व जिला अध्यक्ष कन्हैयालाल मौर्य, जिला उपाध्यक्ष अशोक चौटाला, मण्डल अध्यक्ष विश्वमोहन लोढा, बद्रीलाल परिहार, दिनेश शर्मा, एल्डरमेन मुन्नालाल शर्मा, कार्यालयीन मंत्री राकेश मिश्रा, एवं पार्षद श्रीमती सरिता लोढा ने सम्बोधित करते हुए श्री काश्यप को भारी मतों से विजयी बनाने का आह्वान किया।
- इसके बाद मप्र की राजनीति में शुक्ल बंधुओं के वर्चस्व को तोड़ने के लिए अर्जुन सिंह ने अजा / अजजा नेतृत्व के रूप में झुमकलाल भेंडिया, टुमनलाल, भंवर सिंह पोर्ते और वेदराम जैसे नेताओं को अपना संकट-मोचक बनाया. नब्बे के दशक में कांग्रेस में रहते हुए दिलीप सिंह भूरिया, अरविंद नेताम और अजीत जोगी जैसे नेता मप्र का नेतृत्व आदिवासी नेता को सौंपने का अभियान चलाते रहे.
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति / जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप सिंह भूरिया ने राहुल बहुआयामी शोध संस्थान, दिल्ली द्वारा आयोजित (दि 0 12 व 13 नवंबर, 1999) कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा था कि ‘‘ बादशाहों के समय में कानून बादशाह बनाते थे, अंग्रेज बनाते थे, राजा बनाते थे और आज आजाद भारत में भी उसको सरकार बनाती है, पर आदिवासियों को न्याय नहीं मिला।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति / जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप सिंह भूरिया ने राहुल बहुआयामी शोध संस्थान, दिल्ली द्वारा आयोजित (दि0 12 व 13 नवंबर, 1999) कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा था कि “बादशाहों के समय में कानून बादशाह बनाते थे, अंग्रेज बनाते थे, राजा बनाते थे और आज आजाद भारत में भी उसको सरकार बनाती है, पर आदिवासियों को न्याय नहीं मिला।” गत 26 जनवरी, 2001 के गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र के नाम प्रसारित अपने संदेश में महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने इस वक्त आदिवासियों पर छाये चौतरफा संकट पर गहरी चिंता जतायी थी।
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