पंडित शिवकुमार शर्मा वाक्य
उच्चारण: [ pendit shivekumaar shermaa ]
उदाहरण वाक्य
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- मुंबई: मशहूर शास्त्रीय संगीतकार पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित शिवकुमार शर्मा फिल्म उद्योग की मौजूदा स्थिति को लेकर खुश नहीं हैं और उन्हें लगता है कि आज के गानों का जीवन बेहद कम हो गया है। प्रसिद्ध बांसुरी वादक चौरसिया और संतूर वादन के महारथी शर्मा की शिव-हरि की यह जोड़ी सिलसिला (1981), फासले (1985), चांदनी (1989), लम्हे (1991)
- इस बैठक में उपस्थित एआईएमजी के सदस् यों में पंडित अजय चक्रवर्ती, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, उस् ताद जाकिर हुसैन, पंडित राजन मिश्र, पंडित शिवकुमार शर्मा (सभी उत् तर भारतीय हिन् दुस् तानी संगीत), श्री रविकिरण चित्रवीणा, श्री टीएन कृष् णन, श्रीमती सुधा रघुनाथन और श्री यू श्रीनिवास (सभी दक्षिण भारतीय कर्नाटक संगीत) शामिल थे।
- कल की महफ़िल आलिम-फ़ाज़िल लोगों की महफ़िल थी जिसमें शरीक थे शास्त्रीय संगीत के महारथी पंडित शिवकुमार शर्मा, राम देशपांडे साथ में थे लोकगायक डा वाणी (क्षमा कीजिए पूरा नाम नहीं लिख पा रही हूँ), विश्वनाथ रत्ता और साथी तथा वादक कलाकार जिनके साथ महफ़िल में शिरकत कर रहे थे आकाशवाणी के कश्मीर केन्द्र निदेशक बशीर आरिफ़ साहब और कमी खल रही थी महेन्द्र मोदी साहब की।
- स्ट्राइकर्स से थिरक रहा था संतूर का एक-एक तार थम गया था शोर डिब्बे का और सांस रोक कर सुना जा रहा था स्वर-लहरियों को पंडित शिवकुमार शर्मा जिनके बाल यूं ही नहीं घुंघराए थे जन्मजात वह किसी छेड़े गये राग की संगत थी कभी-कभार उठाते अपना सिर झटका देकर और इस बहाने खोजते आसपास जमा स्तब्ध भीड़ में कुछ था तो सब पूरा-पूरा लेकिन फिर भी लग रहा अधूरा.....
- मेरे मोबाइल फोन के म्युजिक लाइब्रेरी में इन भजनों व स्तोत्रों की विभिन्न प्रसिद्द शास्त्रीय गायकों जैसे पंडित भीमसेन जोशी, पंडित जसराज, एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी, घंटशाल, पंडित शिवकुमार शर्मा, राजन साजन मिश्र, छन्नूलाल मिश्र इत्यादि की दैवीय आवाज में Mp 3 फाइलें संकलित हैं, जो मैं अपनी सुविधानुसार (और अपने परिवार के सदस्यों को कोई असुविधा होने पर ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से) सुन सकता हूँ।
- जैसे कि यह कहना कि पंडित शिवकुमार शर्मा के घुंघराए बाल किसी छेड़े गये राग की संगत थी-जैसे कि यह कहना कि जुगलबंदी नहीं यह प्रार्थना थी दरअसल, कि लहलहा उठें मुरझाई फसलें, बहने लगें झरने सदियों से सूखे-जैसे यह कहना कि बीडीयां बुझ चुकी थीं कब की, सूख चुकी थीं पूडियां हाथों में ही, दुबक गई थी अचार की गंध एक कोने में, मांएं भूलीं ढांपना उघड़े स्तन अपने ।
- कत्थक नृत्य का दूसरा नाम बन चुके बिरजू महाराज, संतूर के सतरंगे सुरों की दुनिया के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा, बांसुरी की मधुर तान के लिए मशहूर पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और राजन मिश्र, तबले की थाप के जरिए पूरी दुनिया में अपना सिक्का जमाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन, सुधा रघुनाथन, लीला सैंमसन, टीएन कृष्णन का ग्रुप बनाकर संगीत के बिगड़ते सुरों को ठीक करने के लिए आवाज उठाना निश्चित तौर पर साहस का काम है।
- मालाबार • खाद्य एवं कृषि संगठन • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन • इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर • क्रेडिट कार्ड • वीडियो कान्फ्रेन्सिंग • सेरेब्रल पाल्सी • इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन • कार्बन १४ डेटिंग • इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन • नालंदा विश्वविद्यालय • परांठा • पुरनपोली • जैसलमेर / आलेख • लखनऊ • जयपुर/आलेख • लीला नायडू • विश्व हास्य दिवस • भारतीय सर्वेक्षण विभाग • मोदीनगर • तीन मूर्ति भवन • प्रकाश उत्सर्जक डायोड • एंजियोग्राफी • पंडित शिवकुमार शर्मा • मुक्त स्रोत • वर्षा जल संचयन • बिग बैंग सिद्धांत •
- हाँ कविता में दो जगहें ऐसी जरूर हैं जहाँ बार बार रुक कर उन पर विचार करने की जरूरत महसूस होती है-एक वह जहाँ अचानक दोनों उस्तादों की “ कूट भाषा से भरी हुई आंखें ” टकराती हैं-और दूसरी जगह वह जहाँ कवि ने उस्तदों के वाद्य के लिए “ हथियार ” शब्द का प्रयोग किया है (उतर गये दोनों योद्धा साथी गलबहियां करते / पंडित शिवकुमार शर्मा और उस्ताद शफ़ात अहमद खान / अपने हथियारों समेत / चीर कर भीड़ को करते हुए गर्जना) ।
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