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मोटूरि सत्यनारायण वाक्य

उच्चारण: [ moturi setyenaaraayen ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • पुरस्कार व सम्मान: दिल्ली में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण “प्रवासी मीडिया सम्मान”, जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मान, रायपुर में सृजन गाथा के “हिंदी गौरव सम्मान”, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा मानद विद्यावाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधि तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान के मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित।
  • मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार ग्रहीता ईमनि दयानंद ने हिंदी और तेलुगु में लेखन कार्य किया है और ‘ पत्थर भी गाते हैं ', ‘ शतरंज के खिलाड़ी ', ‘ जनता बनी अनाड़ी ', ‘ एकलव्य की मूक वेदना ', ‘ वेमन पदावली ' आदि हिंदी रचनाएँ की है |
  • मोटूरि सत्यनारायण (2 फरवरी, 1902-6 मार्च, 1995) दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार आन्दोलन के संगठक, हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के युग-पुरुष, गाँधी जी से भावित एवं गाँधी-दर्शन एवं जीवन मूल्यों के प्रतीक, हिन्दी को राजभाषा घोषित कराने तथा हिन्दी के राजभाषा के स्वरूप का निर्धारण कराने वाले सदस्यों में दक्षिण भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे।
  • इसके अलावा, विदेशी हिंदी विद्वान वर्ग में दिए जाने वाले जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार से डा शमतोव आजाद (उजबेकिस्तान) और डा उ जो किम (दक्षिण कोरिया) को सम्मानित किया जायेगा और विदेशों में हिन्दी के प्रसार के लिए मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से मदनलाल मधु (रूस) और तेजेंद्र शर्मा (इंग्लैंड) को सम्मानित किया जाएगा।
  • बंगाल के केशवचन्द्र सेन, राजा राम मोहन राय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, पंजाब के बिपिनचन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, गुजरात के स्वामी दयानन्द, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, महाराष्ट्र के लोकमान्य तिलक तथा दक्षिण भारत के सुब्रह्मण्यम भारती, मोटूरि सत्यनारायण आदि नेताओं के राष्ट्र भाषा हिन्दी के सम्बंध में व्यक्त विचारों से मेरे मत की संपुष्टि होती है।
  • जबकि दिल्ली में हीं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण “ प्रवासी मीडिया सम्मान ”, जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मान, रायपुर में सृजन गाथा के “ हिंदी गौरव सम्मान ”, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा मानद विद्यावाचस्पति (पीएच. डी.) की उपाधि तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान के मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।
  • (प्रो. दिलीप सिंह, दक्षिण भारत की भाषाई चेतना और हिंदी भाषा, मोटूरि सत्यनारायण जन्मशती समारोह स्मारिका, मार्च 2003, प्रधान संपादक-प्रो. नित्यानंद पांडेय, पृ.261). इस संदर्भ में चंद्रकांत बांदिवडेकर का यह कथन उल्लेखनीय है-‘ हिंदी की अपनी उदार सामासिक शक्ति का यह प्रमाण है कि हिंदी साहित्य केवल हिंदी भाषा भाषियों का साहित्य नहीं रहा.
  • वेब पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के अपने प्रयत्नों के लिए उन्हें २ ०० ६ में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान, २ ०० ८ में रायपुर छत्तीसगढ़ की संस्था सृजन सम्मान द्वारा हिंदी गौरव सम्मान [2], दिल्ली की संस्था जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मान तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार [3] से विभूषित किया जा चुका है।
  • वशिनी शर्मा [आगरा] ने भाषा आंदोलन के विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए प्रतिपादित किया कि जनभाषा की प्रतिष्ठा का आंदोलन वस्तुतः प्रयोजनमूलक भाषा की खोज का आंदोलन था जिसे आगे चलकर मोटूरि सत्यनारायण ने सहेजा-संवारा. उन्होंने देश-विदेश में हिंदी की वर्तमान स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि सिनेमा और मीडिया द्वारा भाषा को नए रूपों में ढालना भी भाषा आंदोलन का एक आयाम है जिसके कारण हिंदी में रोज़गार के अनेक अवसर सामने आ रहे हैं ;
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