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राधावल्लभ त्रिपाठी वाक्य

उच्चारण: [ raadhaavellebh teripaathi ]
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  • जैसे राधावल्लभ त्रिपाठी ने संस्कृत कविता की दूसरी परम्परा की खोज की है और विल्हण, कल्हण, योगेश्वर, श्रीधरदास, शार्डदेव जैसे करीब पाँच सौ प्राचीन लोक कवियों की कविताओं का कोश सम्पादित किया है।
  • ” प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी ने ठीक ही कहा है कि “ सामंतीय समाज में स्त्री को एक उपभोग की वस्तु बना दिये जाने के विरुद्ध प्रतिक्रिया कालिदास और भवभूति दोनों ने बड़े प्रखर रूप में दी है।
  • (वरिष्ठ कवि विजेन्द्र के संपादन में निकल रही लघु पत्रिका कृति ओर के जुलाई-सितंबर 2007 अंक में राधावल्लभ त्रिपाठी द्वारा अनुदित अर्थववेद से लिया गया अंश) वेदों में क्या है वेद देव स्तुति से भरे हैं।
  • काव्यपाठ सत्र में सीताकांत महापात्र (उडि़या), अशोक वाजपेयी (हिंदी), के. सच्चिदानंदन (मलयालम), सी.पी. देवल (राजस्थानी), गंगेश गंुजन (मैथिली), सीतांशु यशस्चंद्र (गुजराती), मलखान सिंह, मंगलेश डबराल (हिंदी) और राधावल्लभ त्रिपाठी (संस्कृत) ने अपनी कविताओं से भाषा महोत्सव को उंचाइयां दी।
  • प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी नाट्यशास्त्र विश्वकोश की भूमिका में कहते हैं-' ईसा पूर्व की शताब्दियों में नाटक राजमहल से लेकर गाँवों तक फैल चुका था।..इसी वातावरण में भास सौमिल्ल कविपुत्र तथा अश्वघोष जैसे बड़े नाटककार जनमे तथा लौकिक संस्कृत नाटक(क्लासिकल संस्कृत ड्रामा)के युग का सूत्रपात हुआ।'
  • ” (राधावल्लभ त्रिपाठी) कालिदास जो संस्कृत के कृतकृत्यता समृद्ध नाटककार हैं, अपने नाटकों में विवाहेतर प्रेम संबंध को प्रेम के आदर्श से, उसकी सामाजिकता से जोड़ा तो भवभूति ने वैवाहिक जीवन के प्रेम को आदर्श स्थिति का दर्शन रचा है।
  • प्रख्यात साहित्यकार, समीक्षक तथा संस्कृत के विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी की काव्यशास्त्र पर तीसरी पुस्तक आगे...प्रगतिवाद और समानांतर साहित्य रेखा अवस्थी पृष्ठ 332 मूल्य $ 24.95यह पुस्तक शोधग्रंथ भी है और धारदार तर्क-वितर्क से भरी एक सृजनात्मक कृति भी आगे...निर्गुण संतों के स्वप्न डेविड एन.
  • रवींद्रनाथ और अरविंद द्वारा सुझाये गये दो भारतीय महाकाव्यों (रामायण और महाभारत) के माध्यम से राधावल्लभ त्रिपाठी भारतीयता और भारतीय आलोचना की पहचान करने का मापदंड मानते है उनका कहना हैं कि अगर महाकाव्य की पहचान की जाए तो हमारे सामने उसके दो ही मानक हैं-रामायण और महाभारत ।
  • आगे...नया साहित्य नया साहित्यशास्त्र राधावल्लभ त्रिपाठी पृष्ठ 143 मूल्य $ 11.95प्रख्यात साहित्यकार, समीक्षक तथा संस्कृत के विद्वान राधावल्लभ त्रिपाठी की काव्यशास्त्र पर तीसरी पुस्तक आगे...प्रगतिवाद और समानांतर साहित्य रेखा अवस्थी पृष्ठ 332 मूल्य $ 24.95यह पुस्तक शोधग्रंथ भी है और धारदार तर्क-वितर्क से भरी एक सृजनात्मक कृति भी आगे...निर्गुण संतों के स्वप्न डेविड एन.
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