वृन्दावनलाल वर्मा वाक्य
उच्चारण: [ verinedaavenlaal vermaa ]
उदाहरण वाक्य
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- कमलेश्वर, मोहन राकेश व राजेंद्र यादव आज भी चर्चा में हैं और उनपर हमेशा ही कुछ न कुछ लिखा जाता है लेकिन अश्क, वृन्दावनलाल वर्मा, इला चन्द्र जोशी, शैलेश मटियानी आदि के नाम लेने वाले नहीं रहे हैं.
- नाम-डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर / जन्मतिथि-19-03-1974 (वास्तविक 19.09.1973) / जन्म स्थान-उरई (जालौन) उ0प्र0 / शिक्षा-पी-एच0 डी0 (हिन्दी साहित्य)/ (डा0 वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन) / एम0 ए0 (अर्थशास्त्र, हिन्दी साहित्य, राजनीतिशास्त्र) /...
- शिक्षा के रूप में डिग्रियाँ बटोरते हुए बी 0 एस-सी 0 (गणित) के पश्चात अर्थशास्त्र, हिन्दी साहित्य और राजनीति विज्ञान में एम 0 ए 0 और साथ ही हिन्दी साहित्य में (वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन) पी-एच 0 डी 0 की उपाधि प्राप्त की।
- जिन महत्वपूर्ण विद्वानों के पत्र व्यवहार संग्रहालय की श्रीवृद्धि करते हैं उनमें महत्वपूर्ण हैं-बनारसीदास चतुर्वेदी, गणेशदत्त शर्मा इन्द्र, श्रीरंजन सूरिदेव, माखनलाल चतुर्वेदी, वृन्दावनलाल वर्मा, सेठ गोविन्ददास, सुभद्राकुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत, हजारीप्रसाद द्विवेदी, मैथिलीशरण गुप्त, भवानीप्रसाद मिश्र, नन्ददुलारे वाजपेयी, लोचनप्रसाद पाण्डेय।
- हिन्दी में 1857 के इतिहास पर असंख्य पुस्तकें हें, पर प्रभाव की दृष्टि से 1907 में सरकार द्वारा सहयाग मिलने के पूर्व तक के समय में जिन पुस्तकों का सबसे व्यापक प्रभाव रहा ह वे हः रामविलास शर्मा, भगवानदास माहार, वृन्दावनलाल वर्मा, के के दत्त, दुर्गाशंकर सिंह की पुस्तकें।
- [36] हिन्दी में इतिहास लेखन की सीमा और इतिहास से प्रबुद्ध वर्ग की अपेक्षा एक दिलचस्प उदाहरण तब उपस्थित होता है जब दस वर्षों से अधिक समय तक शोध करने के बाद लक्ष्मीबाई का इतिहास लिखने के बजाय वृन्दावनलाल वर्मा तय करते हैं कि वह जो चाहते हैं वह इतिहास पुस्तक लिखकर संभव नहीं है.
- ऐसा क्या है जिसके कारण वृन्दावनलाल वर्मा इतिहास न लिखकर उपन्यास लिखते हैं जो इतिहास से भी ज्यादा प्रामाणिक है, इस विषय पर हिन्दी में विचार करने की खास तौर से ज़रूरत है. डॉ. मैनेजर पाण्डेय ने इतिहास पर विचार करते हुए यह कहा है कि इतिहास का संबंध विवेक से है, आस्था से नहीं.
- ' निराला जी के रेखाचित्रों, स्वर्गीय बलभद्र दीक्षित ' पढ़ीस की अवधी कविताओं और (खड़ी बोली में लिखी हुर्इ) कहानियों, ' सुमन,, गिरिजाकुमार माथुर और केदारनाथ अग्रवाल की अनेक कविताओं, पन्त की ग्राम्या, वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यासों, इधर के आंचलिक कथा-साहित्य में यह ग्राम-जीवन-सम्बन्धी प्रवृतित पल्लवित और पुषिपत होती रही है ।
- अपने प्रिय लेखकों-उपन्यासकारों में खास तौर से प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा और अमृतलाल नागर में जिन तर्को के आधार पर किसी चीजों को पसन्द करके उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते नहीं अघाते, यशपाल और दूसरे लेखकों की आलोचना में वह उन बातों को एकदम अनदेखा करके आगे बढ़ जाते हैं और उनकी मामूली-सी कमजोरियों पर ही जिन्हें सामान्यतः अनदेखा भी किया जा सकता है, अपने मूल्यांकन को पूरी तरह केन्द्रित कर देते हैं।
- महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी, डॉ. राजेन्द्र प्रसादजी, काका कालेलकर, भारतरत्न डॉ. भगवानदास आदि महापुरूषों एवं देश के प्रख्यात चिन्तकों जैसे जयशंकर प्रसाद, निराला, महादेवी, हरिवंश राय बच्चन, बालकृष्णशर्मा '' नवीन '', सुभद्राकुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. गुलाब राय, प्रेमचन्दजी, अज्ञेय, वृन्दावनलाल वर्मा, राजकुमार वर्मा, डॉ. शिवमंगल सिंह '' सुमन '' आदि की लेखनी का प्रसाद '' वीणा '' को मिलता रहा है।
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