शिवदान सिंह वाक्य
उच्चारण: [ shivedaan sinh ]
उदाहरण वाक्य
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- यही शिवदान सिंह चैहान, प्रकाशचन्द्र गुप्त और रांगेय राघव प्रभृति आरम्भिक माक्र्सवादी आलोचकों की असहमति का मुख्य बिन्दु है।
- जैनेन्द्र और शिवरानी देवी के बाद इसके संपादक शिवदान सिंह चौहान और श्रीपत राय फिर अमृतराय और फिर नरोत्तम नागर रहे।
- ४ ५ में उन्होंने त्रिालोचन की ' धरती ' छापी और बाद में शिवदान सिंह चौहान का ' प्रगतिवाद ' ।
- जैनेन्द्र और शिवरानी देवी के बाद इसके संपादक शिवदान सिंह चौहान और श्रीपत राय फिर अमृत राय और फिर नरोत्तम नागर रहे।
- गणेश शंकर विद्यार्थी का ‘ प्रताप ', सज्जाद जहीर एवं शिवदान सिंह चैहान के संपादन में इलाहाबाद से निकलने वाला ‘
- लोगों का यह ख्याल गलत है कि रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान तथा हिन्दी उर्दू के विवाद के कारण संगठन कमजोर हुआ।
- उन्होंने स्वयं कहा है कि ” बनारस में शिवदान सिंह चौहान के सत्संग से सहित्य के प्रगतिशील आंदोलन में कुछ दिलचस्पी पैदा हुई।
- यही वह संदर्भ था जिसकी वजह से शिवदान सिंह चौहान, राहुल सांकृत्यान, यशपाल, रांगेय गाघव आदि से उनकी टकराहट हुई।
- मेवाड़ के बहुत गहरी समझ वाले राजस्थानी के सादे विचारों वाले साहित्यकार महाराज शिवदान सिंह के दोहों को लेकर चित्तौडगढ में सेंथी स्तिथ डॉ.
- कुछ वैसा ही राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के आंदोलन को राजेंद्र बारहठ, शिवदान सिंह जोलावास, घनश्यामसिंह भिंडर आदि से थोड़ा बहुत समझ पाया।
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