जो परम सात्ति्वक , स्वपन्मय, अनन्त एवं सबके आदिकारण हैं, उन भगवान् एकदन्त की हम शरण लेते हैं।
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क्योंकि वे भगवान् श्रीराम सिद्धगणों द्वारा परम अद्वितीय , आदिकारण प्रकृति के गुण-प्रवाह से परे बताए जाते हैं।
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क्योंकि वे भगवान् श्रीराम सिद्धगणों द्वारा परम अद्वितीय , आदिकारण प्रकृति के गुण-प्रवाह से परे बताए जाते हैं।
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और न महर्षिजन ही जानते हैं , क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं का और महर्षियों का भी आदिकारण हूँ॥2॥
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जगत के आदिकारण परमात्मा हैं , अजन्मा हैं , नित्य हैं , कारणों के भी कारण तथा कल्याण स्वरूप हैं।
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इस मधुर रस का स्थायी भाव कृष्ण तथा गोपियों की पारस्परिक प्रियता ( जो संभोग का आदिकारण है) मधुरा रति है।
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भास्कराचार्य कहते हैं , बीज गणित- का अर्थ है अव्यक्त गणित , इस अव्यक्त बीज का आदिकारण होता है , व्यक्त।
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जो परम सात्ति् वक , स्वपन्मय , अनन्त एवं सबके आदिकारण हैं , उन भगवान् एकदन्त की हम शरण लेते हैं।
19.
सर्वे देवा : पूता भवन्ति च॥ अर्थ :- देवर्षिगण कहते हैं - जो सदात्मस्वरूप, सबके आदिकारण, मायारहित तथा सोऽहमस्मि (वह परमात्मा मैं हूँ)- इस अचिन्त्य बोध से सम्पन्न हैं;
20.
करते हैं , जो परमानन्द के निधान एवं आदिकारण हैं, और जो पाप समूह का नाश करने वाले हैं, ऐसे अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की मैं शरण में जाता हूं।