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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "वर्णांधता" अर्थ

वर्णांधता का अर्थ

उदाहरण वाक्य
31.वर्णांधता का विकार सबसे अधिक एकवर्णिक ( monochromatic) व्यक्तियों में, इनसे कम द्विवर्णिक (dichromatic) व्यक्तियों में तथा अंत में सबसे कम त्रिवर्णिक (trichormatic) व्यक्तियों में पाया जाता है।

32.विकार या मस्तिष्क विकार , के कारण वर्णांधता उत्पन्न हो जाती है, जो उचित उपचार द्वारा दूर की जा सकती है, पर जन्म की वर्णांधता का कोई उपचार नहीं है।

33.विकार या मस्तिष्क विकार , के कारण वर्णांधता उत्पन्न हो जाती है, जो उचित उपचार द्वारा दूर की जा सकती है, पर जन्म की वर्णांधता का कोई उपचार नहीं है।

34.कभी कभी नेत्ररोग , जैसे दृष्टितंत्रिका (optic nerve) विकार या मस्तिष्क विकार, के कारण वर्णांधता उत्पन्न हो जाती है, जो उचित उपचार द्वारा दूर की जा सकती है, पर जन्म की वर्णांधता का कोई उपचार नहीं है।

35.कभी कभी नेत्ररोग , जैसे दृष्टितंत्रिका (optic nerve) विकार या मस्तिष्क विकार, के कारण वर्णांधता उत्पन्न हो जाती है, जो उचित उपचार द्वारा दूर की जा सकती है, पर जन्म की वर्णांधता का कोई उपचार नहीं है।

36.लिंगग्रथित जीन जनित चक्षुरोगों में , जो पुरुषों में अधिक होते हैं, वर्णांधता (विशेषकर लाल और हरे रंगों में भेद न ज्ञात होना), दिनांधता (दिन में न दिखाई देना), रतौंधी (रात को न दिखाई देना) इत्यादि रोग हैं।

37.लिंगग्रथित जीन जनित चक्षुरोगों में , जो पुरुषों में अधिक होते हैं, वर्णांधता (विशेषकर लाल और हरे रंगों में भेद न ज्ञात होना), दिनांधता (दिन में न दिखाई देना), रतौंधी (रात को न दिखाई देना) इत्यादि रोग हैं।

38.हमें भी याद नहीं कि हमारे सपने रंगीन भी होते है , आपने याद दिलाया है अबसे परखने की कोशिस करेंगें, वैसे भी हम वर्णांधता के शिकार हैं कम प्रकाश में रंगवर्णों में अंतर नहीं कर सकते सारे गहरे रंग हमें काले ही नजर आते हैं किन्तु सपने यदि बीते दिनों के मित्रों के यादगार क्षणों के हों तो वो श्वेत श्याम भी अपने लगते हैं, रंगीनियां तो हमें छायावाद में ले जाती है जो खुले आंखों को भाती हैं ।

39.हमें भी याद नहीं कि हमारे सपने रंगीन भी होते है , आपने याद दिलाया है अबसे परखने की कोशिस करेंगें , वैसे भी हम वर्णांधता के शिकार हैं कम प्रकाश में रंगवर्णों में अंतर नहीं कर सकते सारे गहरे रंग हमें काले ही नजर आते हैं किन् तु सपने यदि बीते दिनों के मित्रों के यादगार क्षणों के हों तो वो श् वेत श् याम भी अपने लगते हैं , रंगीनियां तो हमें छायावाद में ले जाती है जो खुले आंखों को भाती हैं ।

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