दातों के बीच संपर्क बिंदु की ही तरह चर्वणक (molar) और अग्रचर्वणक (premolar) दांतों की चबाने वाली सतहों पर पाए जाने वाले खांचे भी सूक्ष्मदर्शीय अवरोधन प्रदान करते हैं.
12.
इन दांतों के बाद दो-दो कुचलने वाले दांत होते हैं जिन्हे अग्रचर्वणक (premolars) कहा जाता है और इनके पीछे तीन-तीन चबाने वाले दांत होते हैं जिन्हे चर्वणक (molor) कहते हैं।
13.
जबड़ों पर स्थित चर्वणक दांत मूल क्षरण के सबसे आम स्थान हैं, जिसके बाद जबड़ों पर स्थित अग्रचर्वणक, जंभिका पर स्थित अग्रवर्ती, जंभिका पर स्थिति पश्चवर्ती और जबड़े पर स्थित अग्रवर्ती दांत आते हैं.
14.
एक बार में केवल चार चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा/अथवा चर्वणक), एक-एक दोनों जबड़ों के दोनों तरफ़, प्रयोग में लाये जाते हैं (या केवल दो क्योंकि जबड़े के हर हिस्से में दूसरा दाँत पहले को बदली कर रहा होता है)।
15.
स्थायी दाँत: इनका कैल्सीकरण इस क्रम से होता है-प्रथम चर्वणक: जन्म के समय, छेदक और भेद: प्रथम छह मास में, अग्रचर्वणक: तृतीय या चौथे वर्ष, द्वितीय चर्वणक: चौथे वर्ष और तृतीय चर्वणक: दसवें वर्ष के लगभग।