| 1. | दूध के चर्वणकों का स्थान स्थायी अग्रचर्वणक लेते हैं।
|
| 2. | १२ अग्रचर्वणक, जबड़े के हर तरफ़ तीन।
|
| 3. | कृंतक, रदनक और अग्रचर्वणक दांतों में एक-एक जड़ होती है।
|
| 4. | इनमें चर्वणक का स्थान आगे चलकर स्थायी अग्रचर्वणक ले लेते हैं।
|
| 5. | चूहों और घोड़ों के भेदक और अग्रचर्वणक के बीच स्थान होता है।
|
| 6. | वैसे पहले ऊपरी अग्रचर्वणक दांतों की शुरुआत में दो जड़ें होती है।
|
| 7. | घाव से होने वाले क्षरण का खतरा प्रथम व द्वितीय अग्रचर्वणक दातों पर सर्वाधिक होता है.)
|
| 8. | अग्रचर्वणक आठ होते हैं और दो दो की संख्या में भेदकों के पीछे स्थित होते हैं।
|
| 9. | दंतग्रीवा अंडाकार और दंतमूल एक होता है (सिवा ऊपर के प्रथम अग्रचर्वणक के, जिसमें दो मूल होते हैं)।
|
| 10. | किन्तु चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा चर्वणक) एक हाथी की आयु में क़रीब पांच बार[41] या बहुत विरले ही छः बार[42]बदली होते हैं।
|