अप्रगामी तरंग में कुछ निश्चित स्थानों पर स्थित कणों का कम्पन सबसे कम (शून्य) होता है, कुछ निश्चित स्थानों के कणों का कम्पन सर्वाधिक होता है।
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[36] इसके अलावा, तीन, चार, पांच यहां तक कि छः सीमा सतहों वाले जटिल अनुनाद अवस्थाएं भी हैं जिनमें सभी सतहें मिल कर अप्रगामी तरंगें बनाती हैं.
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न्यूटन के काल से ही यह माना जाता रहा है कि यह ब्रह्माण्ड अचर / अप्रगामी / स्तब्ध है क्योंकि आकाश में तारे प्रतिदिन ज्यों के त्यों दिखाई देते हैं ।
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इसका कारण यह है अप्रगामी तरंग पैटर्न इन स्थानों में सबसे आसानी से और कम आवृत्तियों पर सुनी जाती है, श्रोएडर आवृत्ति से नीचे-आमतौर पर 200-300 हर्ट्ज के आसपास, कमरे के आकार पर निर्भर करता है.
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इसका कारण यह है अप्रगामी तरंग पैटर्न इन स्थानों में सबसे आसानी से और कम आवृत्तियों पर सुनी जाती है, श्रोएडर आवृत्ति से नीचे-आमतौर पर 200-300 हर्ट्ज के आसपास, कमरे के आकार पर निर्भर करता है.
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इस पुस्तक में ध्वनि क्या है, यांत्रिक तरंगें, प्रघाती तरंगें, शोर या कोलाहल, ध्वनि का परावर्तन, डाप्लर का प्रभाव, व्यतिकरण, विस्पन्द, ध्वनि का विवर्तन, अल्ट्रासोनिक तरंगें, अप्रगामी तरंगें, ध्वनियों के लक्षण, अनुनाद आदि विषयों का प्रमाणिक वर्णन किया गया है।