परंतु अभिवाह की दिशा एवं परिमाण स्थिर होने पर भी यदि चालक चलनशील हो, तो अभिवाह के काटे जाने के फलस्वरूप, उसमें वि.वा.व. की उत्पत्ति होगी।
12.
फ़ैरेडे के सिद्धांत के अनुसार, किसी चालक से संबद्ध अभिवाह में परिवर्तन, उसमें वि.वा.ब. की उत्पत्ति करता है; जिसका परिमाण, अभिवाह परिवर्तन की गति के बराबर होता है।
13.
फ़ैरेडे के सिद्धांत के अनुसार, किसी चालक से संबद्ध अभिवाह में परिवर्तन, उसमें वि.वा.ब. की उत्पत्ति करता है; जिसका परिमाण, अभिवाह परिवर्तन की गति के बराबर होता है।
14.
एक तो स्थैतिक रूप में, जैसा ऊपर कहा गया है, जिसमें दोनों कुंडलियाँ स्थैतिक होती हैं और वि.वा.ब. की उत्पत्ति, अभिवाह बंधता (flux linkage) में परिवर्तन के कारण होती है।
15.
यह अभिवाह, निकटवर्ती दूसरी कुंडली के चालकों के साथ संबद्ध होकर अपने प्रत्यावर्ती स्वभाव के अनुरूप ही उनमें विद्युद्वाहक बल या वि.वा.व. (electromotive force or e. m. f.) उत्पन्न करता है।
16.
दूसरी ओर, बढ़े हुए चुंबकीय प्रतिष्टंभ के साथ तांबे की टोपी के लिए एक चौड़े वाक् अंतराल की जरूरत होती है, इससे उपलब्ध अभिवाह में कमी आती है तथा तुल्य प्रदर्शन के लिए एक बड़े चुंबक की आवश्यकता होता है.
17.
दूसरी ओर, बढ़े हुए चुंबकीय प्रतिष्टंभ के साथ तांबे की टोपी के लिए एक चौड़े वाक् अंतराल की जरूरत होती है, इससे उपलब्ध अभिवाह में कमी आती है तथा तुल्य प्रदर्शन के लिए एक बड़े चुंबक की आवश्यकता होता है.