एक बार मैं तीन चार सौ पन्नों का संक्षिप्त अन्ना कैरेनिना पढ़ रहा था तो उसने उसे छीनकर खिड़की से बाहर फेंक दिया, ‘‘ पढ़ना है तो मूल और असंक्षिप्त पढ़ो, ये किताबें सिर्फ़ कहानियाँ जानने के लिए नहीं।
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किताब छोटी सी है, कुल ११ २ पन्ने (राजकमल पेपरबैक्स, मूल संस्करण का असंक्षिप्त रूप, पहला संस्करण १ ९ ८ ६) और कापीराइट है पद्मपराग राय रेणु का जो शायद रेणु जी के पुत्र थे.
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जेल से निकल कर बेला गुप्त के पास जीवन यापन का कुछ और रास्ता नहीं था, यह बात पूरी किताब में बेला गुप्त के बनाये व्यक्तित्व से मेल नहीं खाती.किताब छोटी सी है, कुल ११२ पन्ने (राजकमल पेपरबैक्स, मूल संस्करण का असंक्षिप्त रूप, पहला संस्करण १९८६) और कापीराइट है पद्मपराग राय रेणु का जो शायद रेणु जी के पुत्र थे.