साध्वीश्री का विदाई कार्यक्रम 28 को आलीराजपुर-!-आचार्य देव रवींद्रसूरिश्वर मसा की आज्ञानुवर्ती साध्वीश्री रत्त्रयाश्रीजी एवं साध्वीश्री तत्वत्रयाश्रीजी २८ नवंबर को लक्ष्मणी तीर्थ की ओर विहार करेगी।
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बठिंडा-संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल जी महाराज के शिष्या शास्त्री पदमचंद जी महाराज के आज्ञानुवर्ती सुनील मुनि जी, वीरेंद्र मुनि जी एवं अर्हम मुनि जी का रविवार सुबह जैन सभा में मंगल प्रवेश हुआ।
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ऐसे कई प्रयोगों का उल्लेख इस प्रतिपादन की पुष्टि में किया गया था, जिनसे सिद्ध होता था कि शरीर मन-मस्तिष्क का एकनिष्ठ आज्ञानुवर्ती सेवक है और उसे जैसे निर्देश मिलते हैं, वह उनका अक्षरश: पालन करता है।
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आचार्य डॉ. शिवमुनिजी की आज्ञानुवर्ती श्रमणसंघीय प्रथम युवाचार्य मधुकरजी की अनुयायी व कानकुँवरजी की सुशिष्या आर्या डॉ. चंद्रप्रभाजी 'आभा', नवदीक्षिता करुणप्रभाजी आदि ठाणा का मंगल प्रवेश 9 जुलाई क ो जैन दिवाकर सामायिक साधना भवन, महावीर नगर पर होगा।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि पुंगव श्री सुधासागर महाराज जी का वर्षायोग 2012 धार्मिक नगर ललितपुर (उत्तर प्रदेश) में क्षेत्रपाल जी मंदिर में 20 वर्ष बाद हो रहा है | इसके पूर्व में सन 1991 एवं 1993 में चातुर्मास हो चूका है
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि पुंगव श्री सुधासागर महाराज जी का वर्षायोग 2012 धार्मिक नगर ललितपुर (उत्तर प्रदेश) में क्षेत्रपाल जी मंदिर में 20 वर्ष बाद हो रहा है | इसके पूर्व में सन 1991 एवं 1993 में चातुर्मास हो चूका है |
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उस पुतले के द्वारा अंगे्रजों का भारतीयों से कहना थाᄉ “ऐ भारत के रहने वालो! तुम हमारी कलम की ताकत से हमारे आज्ञानुवर्ती रहोगे या तलवार की ताकत से? याद रखो, यदि हमारे मस्तिष्क और लेखनी के द्वारा बनाये कानूनों को तुम नहीं मानोगे, तो देखो हमारे दूसरे हाथ में तलवार है।
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उस पुतले के द्वारा अंगे्रजों का भारतीयों से कहना थाᄉ ' ' ऐ भारत के रहने वालो! तुम हमारी कलम की ताकत से हमारे आज्ञानुवर्ती रहोगे या तलवार की ताकत से? याद रखो, यदि हमारे मस्तिष्क और लेखनी के द्वारा बनाये कानूनों को तुम नहीं मानोगे, तो देखो हमारे दूसरे हाथ में तलवार है।
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एलाचार्य श्री की आज्ञानुवर्ती शिष्या संघ नायिका आर्यिका श्री गुरु नंदिनी माताजी ने सभा ओ संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति के चार आयाम होते हैं:-समर्पण, निस्वार्थ, श्रद्धा और दृढ़ता जो कृष्ण नगर जैन समाज में देखने को मिली और यदि ऐसी भक्ति बनी रही तो एक दिन आप भी भक्त से भगवन बन सकते हो.एलाचार्य श्री कि
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पूर्व में साध्वी श्री सुमति कंवरजी आदि विराज हो रही थीं और आज के इस प्रसंग पर शिवा बस्ती में विराजित साध्वी ताराकंवरजी म. सा. आदि ठाणा एवं बीकानेर से साध्वी पे्रमलता जी म.सा. आदि ठाणा एवं बीकानेर से ही आचार्य रामेश के आज्ञानुवर्ती संत प्रकाश मुनिजी म.सा., किशोर मुनिजी म.सा. के पधारने से चतुर्विद्य संघ का ठाठ लग गया।