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उपयोग-मूल्य उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
11.बाद में हमने यह भी देखा कि श्रम का भी वैसा ही दोहरा स्वरूप है, क्योंकि जहाँ तक कि वह मूल्य के रूप में व्यक्त होता है, वहां तक उसमें वे गुण नहीं होते, जो उपयोग-मूल्य के सृजनकर्त्ता के नाते उसमें होते हैं.

12.बाद में हमने यह भी देखा कि श्रम का भी वैसा ही दोहरा स्वरूप है, क्योंकि जहाँ तक कि वह मूल्य के रूप में व्यक्त होता है, वहां तक उसमें वे गुण नहीं होते, जो उपयोग-मूल्य के सृजनकर्त्ता के नाते उसमें होते हैं.

13.इसलिए मूल्य-रूप को न केवल सामान्य-तौर पर मूल्य को व्यक्त करना चाहिए, बल्कि [...] उपयोग-मूल्य पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया मानव-श्रम विनिमय-मूल्य पण्य परिमाणात्मक समतुल्य हर वह पण्य, जिसका हमें मूल्य व्यक्त करना होता है, एक निश्चित मात्रा की उपयोगी वस्तु होता है, जैसे १५ बुशेल अनाज या १०० पाउंड कहवा.

14.हम देख चुकें हैं कि जब पण्य क (कपड़ा) अपने से भिन्न प्रकार के पण्य (कोट) के उपयोग-मूल्य के रूप में अपना मूल्य प्रकट करता है, तब वह उसके साथ-साथ कुछ दूसरे पण्य पर भी मूल्य के एक विशिष्ट रूप की, अर्थात मूल्य के समतुल्य रूप की, छाप अंकित कर देता है.

15.सर्वहारा का राज्य और सर्वहारा की पार्टी लगातार पूंजीवादी उत्पादन-प्रणाली और मूल्यों-मान्यताओं-संस्थाओं के विरूद्ध कारगर ढंग से संघर्ष को जारी रखते हुए ही समाजवादी समाज को उस मंजिल तक पंहुचा सकती हैं, जहां वस्तु का बाजार मूल्य पूर्णतः समाप्त हो जाता है और मात्र उपयोग-मूल्य एवं प्रभाव मूल्य का ही अस्तित्व रह जाता है ।

16.निम्न बुर्जुआ वर्ग, प्रूदों मूल्य का समतुल्य रूप हम देख चुकें हैं कि जब पण्य क (कपड़ा) अपने से भिन्न प्रकार के पण्य (कोट) के उपयोग-मूल्य के रूप में अपना मूल्य प्रकट करता है, तब वह उसके साथ-साथ कुछ दूसरे पण्य पर भी मूल्य के एक विशिष्ट रूप की, अर्थात मूल्य के समतुल्य रूप की, छाप अंकित कर देता है.

17.उनके अपने धर्म को छोड़कर उनकी दृष्टि में बाकी हर धर्म मनुष्यों की मनगढ़ंत है, जब कि अपने धर्म के बारे में वे समझते हैं कि वह ईश्वर से उद्भूत हुआ है उपयोग-मूल्य एंगेल्स द्रव्य-रूप मानव-श्रम मार्क्स विनिमय-मूल्य श्रम-शक्ति समतुल्य-रूप सामाजिक संबंध अमूर्त उत्पादक द्रव्य पण्यों की जड़-पूजा परिमाणात्मक स्वतःस्फूर्त पहली दृष्टि में पण्य बहुत मामूली सी और आसानी से समझ में आनेवाली चीज मालूम होता है.

18.साधारणतया इससे उल्टी कार्यविधि अपनाई जाती है, और मूल्य-संबंध को दो अलग-अलग ढंग के पण्यों [...] उपयोग-मूल्य मानव-श्रम विनिमय-मूल्य श्रम-शक्ति अमूर्त मूर्त मूल्य समतुल्य सामाजिक दृष्टि से आवश्यक श्रम-काल इसका पता लगाने के लिए कि किसी पण्य के मूल्य की प्राथमिक अभिव्यंजना दो पण्यों के मूल्य-संबंध में कैसे छिपी रहती है, हमें सबसे पहले इस मूल्य-संबंध को उसके परिमाणात्मक पहलू से बिलकुल अलग करके उस पर विचार करना चाहिए.

19.बाद में हमने यह भी देखा कि श्रम का भी वैसा ही दोहरा स्वरूप है, क्योंकि जहाँ तक कि वह मूल्य के रूप में व्यक्त होता है, वहां तक उसमें वे गुण नहीं होते, जो [...] उपयोग-मूल्य एंगेल्स पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया विनिमय-मूल्य श्रम-विभाजन श्रम-शक्ति उत्पादक गुणात्मक जिंस पण्य परिमाणात्मक मूल्य विनिमय पहली दृष्टि में पण्य दो चीजों-उपयोग-मूल्य और विनिमय मूल्य-के संश्लेष के रूप में हमारे सामने आया था.

20.कपड़ा नामक पण्य [...] द्रव्य-रूप पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया मानव-श्रम विनिमय-मूल्य श्रम-विभाजन सामाजिक संबंध समतुल्य सामाजिक दृष्टि से आवश्यक श्रम-काल हम देख चुकें हैं कि जब पण्य क (कपड़ा) अपने से भिन्न प्रकार के पण्य (कोट) के उपयोग-मूल्य के रूप में अपना मूल्य प्रकट करता है, तब वह उसके साथ-साथ कुछ दूसरे पण्य पर भी मूल्य के एक विशिष्ट रूप की, अर्थात मूल्य के समतुल्य रूप की, छाप अंकित कर देता है.

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