| 11. | मानस जप यज्ञ उपांशु जप यज्ञ से हजार गुना श्रेष्ठ है।
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| 12. | उपांशु जप सौ गुना और मानस जप हजार गुना श्रेष्ठ है।
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| 13. | उपांशु जप का फल वैखरी जप से सहस्त्रागुना अधिक होता है।
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| 14. | जप तीन प्रकार का होता है-वाचिक, उपांशु और मानसिक।
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| 15. | जो मंत्र हृदय में जपा जाता है, उसे उपांशु जप कहते हैं।
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| 16. | जपयोग के तीन प्रकार हैं:-वाचिक, उपांशु और मानस।
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| 17. | वे एकाग्रचित होकर ‘ ऊं नमो नारायणाय ' का उपांशु जप करने लगे।
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| 18. | वाचिक, उपांशु और मानस जप के तेज गति वाले अभ्यास कराए जाते हैं।
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| 19. | जप करें, जप तीन प्रकार का होता है-वैखरी, उपांशु एवं मानसिक।
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| 20. | उपांशु जप करने से गले की धमनियों को अधिक श्रम करना पड़ता है।
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