| 1. | उपांशु जप तो जप यज्ञ से भी श्रेष्ठ है।
|
| 2. | उपांशु जप तो जप यज्ञ से भी श्रेष्ठ है।
|
| 3. | जप में उपांशु ज्यादा उपयोगी है।
|
| 4. | अपने शोध के दौरान उनका ध्यान उपांशु जप पर गया।
|
| 5. | बिलकुल धीमी गति में जप करना ही उपांशु जप है।
|
| 6. | जप तीन तरह का होता है, वाचिक, उपांशु और मानसिक।
|
| 7. | जप तीन प्रकार का होता है-वाचिक, उपांशु एवं मानसिक।
|
| 8. | मानस जप यज्ञ उपांशु जप यज्ञ से हजार गुना श्रेष्ठ है। ' '
|
| 9. | और जो मानसिक, वाचिक और उपांशु जाप की बात कही जाती
|
| 10. | वाचिक जप से उपांशु जप का फल सौगुना विशेष है ।
|