हेमचंद्र की “देशीनाममाला” तथा गोपाल, द्रोण आदि के देशी “कोश” एवं हिंदी के पुराने कोश-जैसे नंददास, बनारसीदास, बद्रीदास, हरिचरणदास, चेतनविजय, विनयसागर आदि की “नाममाला”, प्रयागदास की “शब्दरत्नावली” या हरिचरणदास का “कर्णाभरण” आदि-उसी परंपरा में, अर्थात् एकभाषिक शब्दावलियाँ हैं।
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हेमचंद्र की “देशीनाममाला ” तथा गोपाल, द्रोण आदि के देशी “कोश” एवं हिंदी के पुराने कोश-जैसे नंददास, बनारसीदास, बद्रीदास, हरिचरणदास, चेतनविजय, विनयसागर आदि की “नाममाला”, प्रयागदास की “शब्दरत्नावली” या हरिचरणदास का “कर्णाभरण” आदि-उसी परंपरा में, अर्थात् एकभाषिक शब्दावलियाँ हैं।
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प्राकृत अपभ्रंश-जैसे धनपालकृत “पाइअ लच्छीनाममाला”, हेमचंद्र की “देशीनाममाला” तथा गोपाल, द्रोण आदि के देशी “कोश” एवं हिंदी के पुराने कोश-जैसे नंददास, बनारसीदास, बद्रीदास, हरिचरणदास, चेतनविजय, विनयसागर आदि की “नाममाला”, प्रयागदास की “शब्दरत्नावली” या हरिचरणदास का “कर्णाभरण” आदि-उसी परंपरा में, अर्थात् एकभाषिक शब्दावलियाँ हैं।