यूरोप में जो शब्दावलियाँ प्रारंभ में संगृहीत की गईं, एकभाषिक थीं किन्तु बाद में बहुभाषिक शब्दावलियों की परंपरा चली।
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यूरोप में जो शब्दावलियाँ प्रारंभ में संगृहीत की गईं, एकभाषिक थीं किन्तु बाद में बहुभाषिक शब्दावलियों की परंपरा चली।
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वस्तुत: उन्हें तो ऐसा लगा कि 1650 से अधिक भाषाओं और बोलियों के बावजूद भारत एकभाषिक क्षेत्र है.
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एकभाषिक सोच पर आधारित राष्ट्र के रूप में राज्य की परिकल्पना से आज लोकतांत्रिक विश्व विभाजित और अलग-थलग पड़ गया है.
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इन्हीं समान भाषिक प्रवृत्तियों के कारण ही यह निष्कर्ष निकाला गया है कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण दक्षिण पूर्वेशिया, एकभाषिक क्षेत्र (Linguistic Zone) है.
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विश्व के इतिहास पर सरसरी निगाह डालने पर पता चलेगा कि यह मात्र संयोग नहीं है कि विकासित देश प्रमुखत: एकभाषिक हैं और विकासशील देश बहुभाषिक, बहु नस्लीय और बहु सांस्कृति क.
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अमरकोश के पूर्व-जैसे कात्य का “नाममाला”, भागुरि का “त्रिकांड”, अमरदत्त का “अमरमाला” या वाचस्पति का “शब्दार्णव” आदि-एवं बाद के-पुरुषोत्तम देव के “हारावली” तथा “त्रिकांडकोश”, हलायुध का “अभिधान रत्नमाला”, यादवप्रकाश का “वैजंती” आदि-कोश एकभाषिक ही हैं।