उच्च ऊर्जा के ड्यूट्रॉन, प्रोट्रॉन, ऐल्फ़ा कण एवं न्यूट्रॉन की प्राप्ति के लिए यह एक प्रबल साधन है।
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(1) ऐल्फ़ा लोहा, जिसके ठोस घोल को “फ़ेराइट” कहते हैं, और (2) गामा लोहा, जिसका ठोस घोल “ऑसटेनाइट” है।
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अम्लीय रंजकों में मेथिल ऑरेंज, ऐल्फ़ा-नैप्थोल ऑरेंज, फ़ास्ट रेड ए और बी, नैप्थील-ऐमिन ब्लैक डी, विक्टोरिया वायलेट इत्यादि प्रमुख रंजक हैं।
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ऐसा रोहिणी तारे (उर्फ़ ऐल्डॅबरैन या ऐल्फ़ा टौ) के साथ हो चुका है और आज से अरबों साल बाद हमारे सूरज के साथ भी होगा।
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(1) ऐल्फ़ा लोहा, जिसके ठोस घोल को “ फ़ेराइट ” कहते हैं, और (2) गामा लोहा, जिसका ठोस घोल “ ऑसटेनाइट ” है।
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उन अभिक्रियाओं की, जिनसे बीटा किरणें मिलती है, जाँच करते समय यह देखा गया कि निकले हुए कणों का ऊर्जा वर्णक्रम (Spectrum) ऐल्फ़ा किरण के ऊर्जा वर्णक्रम से भिन्न है।
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इज़राइल के बेत ऐल्फ़ा क़स्बे से मिला एक ६वी सदी की यूनानी लहजे में बनी सड़क की एक टाइल जिसपर राशिचक्र बना हुआ है-हर राशि का एक ख़ाना है