जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि बाह्यकर्ण की कर्णपाली (auricle) ध्वनि तरंगों को जमा करती है और उन्हें बाह्य कर्ण कुहर (external auditory meatus) के द्वारा कान में प्रेषित करती है।
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जीभ, गर्दन, पिंडिका, पिंडलियां, एड़ियां, जांघ, नाभि, कर्णपाली, चोटी, वदन, पीठ, हंसली, जानू अस्थिपाश्र्व, हृदय, तालू, नेत्र, लिंग, कमर के नीचे की तनी हड्डिियां, मस्तक और ललाट ये अंग नपुंसक संज्ञक हैं।