यम के लिए पितृपति, कृतांत, शमन, काल, दंडधर, श्राद्धदेव, धर्म, जीवितेश, महिषध्वज, महिषवाहन, शीर्णपाद, हरि और कर्मकर विशेषणों का प्रयोग होता है।
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यम के लिए पितृपति, कृतांत, शमन, काल, दंडधर, श्राद्धदेव, धर्म, जीवितेश, महिषध्वज, महिषवाहन, शीर्णपाद, हरि और कर्मकर विशेषणों का प्रयोग होता है।
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यह राष्ट्र मनुज का भक्षक है यह इंद्रपुरी का तक्षक है यतह गोरखधंधा, त्राटक है यह एक घिनौना नाटक है साम्राजी अघ की टट्टी है कमजोर ईंट की भट्टी है यूरप में बढ़ी तिजारत जो उस से उठ गई इमारत जो उस में पुतलियाँ झमकती जो रेशम की डोर चमकती जो सुन लो, क्या कह चिल्लाती है किस की वह टेर बुलाती है ' उत्पादन तेज करो, दौड़ो मारो औ मरो-बढ़ो, दौड़ो उत्कर्ष चतुर्दिक होता है ' कुनबे में कर्मकर रोता है बनियों का दशादर्श जगा घर छोड़ श्रमिक परदेश भगा