कम होंगे तो और आ जाएंगे. अब गुड नाइट!” खैर! सुबह उन्हें एक परिचित अस्पताल में दाखिल कराया.
12.
> *कबीरा खडा बाज़ार, > मांगे सब की खैर! > ना काहु से दोस्ती, > ना काहु से बैर!!*
13.
लेकिन उस से क्या मेरी किसी तर्कसंगत और सच्ची बात भी मिथ्या हो जाएगी क्या? खैर! वहाँ बात खत्म हो गई।
14.
इसी कारण मैं उनसे मिल भी आया हूँ... खैर! आगे सुनिए... मेरे हमनाम को अपने बड़े भैया की ये बात रास नहीं आती...
15.
जिसे सरकार भी अनदेखा कर देती है!!-खैर! समूचे विश्व को सुधारने की जिम्मेवारी भला अमरीका क्यूँ अपने माथे ले??
16.
खुदा ने कहा, डूबे रहो अपनी तमन्नाओं में, और मेरे बारे में सोचो भी मत, शब्बः खैर! आजिज़ आ गया सुलेमान* अपनी सल्तनत से।
17.
जैसे ही कमेटी भंग हुई उसके बाद क्या चल रहा है इसकी जानकारी देना किसी ने भी मुनासिब नहीं समझा...। खैर! कोई बात नहीं...
18.
अब उसके जाने के बाद नियत स्थान का टोकन न होने की वजह मुझे जो झेलना पड़ा वह तो पूछिए ही मत! खैर! बाल-बाल बचे थे उस दिन।
19.
पर अगर वो मुझसे ऐसे झूठ कहते रहेगी तो मैं कहाँ तक इस रिश्ते को मजबूती दें पाऊंगा..? खैर! मैं उस पर कोई दबाव भी तो नहीं डाल सकता..! ये वो भी बहुत अच्छे से जानती है.
20.
ज़ाहिर है कि तब वे सीधे, सरल इंसान थे-आज की तुलना में-जो कथा-प्रकाशन की दृष्टि से मार्च 1974 में ‘कहानी पत्रिका' में जनमे एक उद्भ्रांत कथाकार से भी कहानी मांगने में संकोच नहीं करते थे! खैर!