पेप्पोर रद्दी पेप्पोरपहर अभी बीता ही हैपर चौंधा मार रही है धूपखड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़उरूज पर आ पहुंचा है बैसाखसुन पड़ती है सड़क सेकिसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकारगोया एक फ़रियाद है अज़ान सीएक फ़रियाद है एक फ़रियादकुछ थोड़ा और भरती मुझेअवसाद और अकेलेपन सेसामुदायिक ब्लॉपग काफ़ी हद तक अपने मिशन में सफल भी रहे.
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पेप्पोर रद्दी पेप्पोर पहर अभी बीता ही है पर चौंधा मार रही है धूप खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़ उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख सुन पड़ती है सड़क से किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार गोया एक फ़रियाद है अज़ान सी एक फ़रियाद है एक फ़रियाद कुछ थोड़ा और भरती मुझे अवसाद और अकेलेपन से-वीरेन डंगवाल
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देश का सत्तर प्रतिशत देहात और बाकी तीस प्रतिशत का भी बहुलांश हाइवे, डिजाइनर स्पीड ब्रेकरों, डोलते पशुओं, थूकते मूतते मानुषों, गन्धाती बस्तियों, गड्ढों भरी सड़कों के किनारे चमकते अल्मुनियम कम्पोजिट से सजे चौंधा मारते मालों, सौन्दर्यबोध से हीन ईंट, कांक्रीट के मकानों, उनको जोड़ती सकुचाती सहमी सँकरी गलियों, उन पर सड़ते कूड़े के ढेरों, मुँह मारते कुकुर, गाय, नेताओं के भद्दे पोस्टरों, शीघ्रपतन का इलाज करने वाले हकीमों के विज्ञापनों, सस्ते चीनी मोबाइलों पर गला फाड़ जिलेबी बाई या मिस किस...