| 11. | वाद, जल्प और वितण्डा, तीनों प्रकार की बहस में हेत्वाभास संभव है।
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| 12. | न्यायशास्त्र के ज्ञातव्य विषयों मे वाद, जल्प और वितंडा का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
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| 13. | जल्प और वितंडा के उद्देश्य में ऐक्य होने पर भी उनकी प्रकृति में बहुत अंतर है।
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| 14. | जल्प और वितंडा के उद्देश्य में ऐक्य होने पर भी उनकी प्रकृति में बहुत अंतर है।
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| 15. | कितना उपहासास्पद, सच है, कवि ही ठहरे, जल्प दिया जो जी में आया।
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| 16. | इस प्रकार के कथनोपकथन केवल ३ विद्याओं में संभव हैं, वो ३ विद्याएँ हैं वाद, जल्प और वितण्डा।
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| 17. | कथा का अर्थ है किसी विषय पर विद्वानों का वह पारस्परिक विचार जो वाद, जल्प और वितंडा के रूप में उपलब्ध होता है।
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| 18. | कथा का अर्थ है किसी विषय पर विद्वानों का वह पारस्परिक विचार जो वाद, जल्प और वितंडा के रूप में उपलब्ध होता है।
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| 19. | जल्प [70] कथा में विजय की इच्छा से वादी और प्रतिवादी अपने-अपने सिद्धान्त का स्थापन और परपक्ष का खण्डन करते हैं।
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| 20. | जल्प और वितण्डा में अन्तर यह है कि जल्प करने वाला अपना पक्ष स्थापन करते हुए प्रतिपक्ष का खंडन करने का प्रयास करता है।
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