| 11. | में जो मूल ज्योतिष्क द्रव्य था उसमें गति कहाँ से आई।
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| 12. | ओड़िआ साहित्य-गगन के एक समुज्ज्वल ज्योतिष्क के रूप में वे चर्चित हैं ।
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| 13. | कि आदि में एक अत्यंत सूक्ष्म नीहारिका रूप ज्योतिष्क द्रव्य था; लोकों और
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| 14. | तेजस् या ज्योतिष्क निहारिका से नए लोकों का गर्भाधान हो रहा है, कहीं उससे
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| 15. | नीहारिका को अमित वेग से घुमाता है और नए घूमते हुए ज्योतिष्क पिंडों का
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| 16. | बहुत दूर ज्योतिष्क नीहारिका से जमकर तरल अग्नि का बड़ा भारी घूमता हुआ गोला
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| 17. | सौर मंडल में सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि ब्रम्हांडीय पिंडों को ज्योतिष या ज्योतिष्क कहा जाता है |
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| 18. | जीवन जीवन है प्रताप से, स्वाभिमान ज्योतिष्क लोचनों में उतरा था, यह मनुष्य था, इतने पर भी नहीं मरा था ।
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| 19. | जीवन जीवन है प्रताप से, स्वाभिमान ज्योतिष्क लोचनों में उतरा था, यह मनुष्य था, इतने पर भी नहीं मरा था ।
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| 20. | जीवन जीवन है प्रताप से, स्वाभिमान ज्योतिष्क लोचनों में उतरा था,यह मनुष्य था, इतने पर भी नहीं मरा था.त्रिलोचन ने किसी से कहा नहीं।
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