लाइकेन के थैलस के सूखने पर शैवाल कोशिकाओं का हरा रंग कवक सूत्रों से छिपे रहने के कारण अस्पष्ट हो जाता है।
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लाइकेन के थैलस के सूखने पर शैवाल कोशिकाओं का हरा रंग कवक सूत्रों से छिपे रहने के कारण अस्पष्ट हो जाता है।
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जब सर्वप्रथम लाइकेन की वनावट और संरचना की खोज की गई तब इन शैवाल कोशिकाओं की उपस्थिति एक पहेली थी, क्योंकि ये शेष थैलस से बहुत भिन्न थीं।
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जब सर्वप्रथम लाइकेन की वनावट और संरचना की खोज की गई तब इन शैवाल कोशिकाओं की उपस्थिति एक पहेली थी, क्योंकि ये शेष थैलस से बहुत भिन्न थीं।
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इस साहचर्य में अधिकांशत: कवक ही होता है, जो शैवालवाले अंग के ऊपर एक थैले की भाँति आवरण होता है तथा थैलस के आकार के लिए उत्तरदायी होता है।
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इस साहचर्य में अधिकांशत: कवक ही होता है, जो शैवालवाले अंग के ऊपर एक थैले की भाँति आवरण होता है तथा थैलस के आकार के लिए उत्तरदायी होता है।
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पर्पटीमय लाइकेन में अध: वल्कुट नहीं होता और क्षुपिल लाइकेन के थैलस में अधिकांशत: एक वल्कुट बाहर की ओर होता है, जिसके नीचे शैवाल स्तर तथा उसके नीचे एक मध्यक अक्ष होता है।
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पर्पटीमय लाइकेन में अध: वल्कुट नहीं होता और क्षुपिल लाइकेन के थैलस में अधिकांशत: एक वल्कुट बाहर की ओर होता है, जिसके नीचे शैवाल स्तर तथा उसके नीचे एक मध्यक अक्ष होता है।
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अनुरूप अवस्था में धानीबीजाणु अंकुरित होकर, एक सूत्र को जन्म देते हैं और यदि यह सूत्र किसी ऐसी शैवाल कोशिकाओं के समीप आ जाए जिनसे यह लाइकेन से संबंधित था तो एक नए लाइकेन थैलस का संश्लेषण हो जाता है।
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अनुरूप अवस्था में धानीबीजाणु अंकुरित होकर, एक सूत्र को जन्म देते हैं और यदि यह सूत्र किसी ऐसी शैवाल कोशिकाओं के समीप आ जाए जिनसे यह लाइकेन से संबंधित था तो एक नए लाइकेन थैलस का संश्लेषण हो जाता है।