| 11. | भक्ति साधन तथा साध्य द्विविध है।
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| 12. | वे स्वभावोक्ति और प्रौढ़ोक्ति द्विविध निर्माण के निष्णात शिल्पी हैं।
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| 13. | मीमांसकों ने द्विविध कर्म कहे हैं-अर्थकर्म और गुणकर्म ।
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| 14. | बोधिचित्त भी प्रणिधि और प्रस्थान के भेद से द्विविध होता है।
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| 15. | यह द्विविध शैलीयोजना नामदेव से लेकर परवर्ती संतों तक चलती रही।
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| 16. | भूतरूप और उपादाय रूप के भेद से रूप द्विविध होता है।
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| 17. | पाणिनीय सम्प्रदाय में उणादि के द्विविध रूप में मिलते हैं-
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| 18. | यह द्विविध शैलीयोजना नामदेव से लेकर परवर्ती संतों तक चलती रही।
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| 19. | यहाँ भाषा और विज्ञापन का आपस में द्विविध सम्बन्ध होता है।
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| 20. | श्रुति, स्मृति, इतिहास और पुराण आदि सिद्ध अयाचक और याचक द्विविध ब्राह्मण
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