ध्वनिरूप शब्द उत्पन्न होता है और उस ध्वनिरूप शब्द से अभिव्यक्त जो अर्थबोधक शब्द है, उसे नित्य ही मानना पड़ेगा, क्योंकि वह वक्ता और श्रोता दोनों की बुद्धि में पहले से ही होता है।
12.
मुकेश की नासिकोत्पन्न दर्द भरी आवाज़ से हेमंत कुमार की बेस लिये हुए हमिंग आवाज़ हो या किशोर कुमार की कडक और खनक लिये हुए आवाज़ से तलत मेहमूद की कोमल और लर्जिश भरी मखमली आवाज़ हो, एक पृथक पहचान लिये हुए ध्वनिरूप आपके मानस के सामने आ जाता है.
13.
मुकेश की नासिकोत्पन्न दर्द भरी आवाज़ से हेमंत कुमार की बेस लिये हुए हमिंग आवाज़ हो या किशोर कुमार की कडक और खनक लिये हुए आवाज़ से तलत मेहमूद की कोमल और लर्जिश भरी मखमली आवाज़ हो, एक पृथक पहचान लिये हुए ध्वनिरूप आपके मानस के सामने आ जाता है.
14.
प्रारम्भ में अद्वैत वेदांत का सिद्धांत जो ब्रह्म है, उसका वर्णन, वेदों का महत्त्व, उन वेदों के मुख्य अंग, व्याकरण की महिमा, व्याकरणशास्त्र की सामान्य रचना पद्धति, अर्थ बोधक शब्द का नित्यत्व, नित्य शब्द और ध्वनिरूप शब्द का व्यंग्य व्यंजक भाव-ये विषय अनेक लौकिक दृष्टांतों की सहायता से सिद्ध किये गए हैं।
15.
प्रारम्भ में अद्वैत वेदांत का सिद्धांत जो ब्रह्म है, उसका वर्णन, वेदों का महत्त्व, उन वेदों के मुख्य अंग, व्याकरण की महिमा, व्याकरणशास्त्र की सामान्य रचना पद्धति, अर्थ बोधक शब्द का नित्यत्व, नित्य शब्द और ध्वनिरूप शब्द का व्यंग्य व्यंजक भाव-ये विषय अनेक लौकिक दृष्टांतों की सहायता से सिद्ध किये गए हैं।