उसने विराट रूप धारण किया, उसी के नाभिकमल से ब्रह्मा ने जन्म लिया तथा सृष्टि की रचना की।
12.
उसने विराट रूप धारण किया, उसी के नाभिकमल से ब्रह्मा ने जन्म लिया तथा सृष्टि की रचना की।
13.
ये ब्रह्माजी जिनके नाभिकमल से उत्पन्न हुए हैं, वे ही आनंदस्वरुप परमात्मा विष्णु इस जगत का पालन करते हैं।
14.
धर्म ग्रंथों के अनुसार क्षीरसागर में शेषशायी विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई, तथा वह स्वयंभू कहला ए.
15.
योगाचार्यों ने चक्रों को ' कमल ' नाम से भी सम्बोधित किया है जैसे हृदय कमल, नाभिकमल सहस्रार कमल आदि ।
16.
कई अन्य हिन्दु ग्रन्थ आदि में यह पढ़ा है कि रूद्र ने विष्णु की उत्पत्ति की और विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई।
17.
जब यह सारा भूमण्डल जलमग्न था, भगवान विष्णु शेषशैय्या पर आसीन थे, उनकी नाभिकमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई और ब्रह्माजी से मानसिक सृष्टि की रचना हुई।
18.
भगवान् विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान् को सोया हुआ देखा, तब एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान् विष्णु को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करनेवाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया।
19.
भगवान् विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान् को सोया हुआ देखा, तब एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान् विष्णु को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करनेवाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया।
20.
भगवान् विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान् को सोया हुआ देखा, तब एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान् विष्णु को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करनेवाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया।