पुमंग तथा दल के मध्य में प्राय: परागकोश स्थित रहता है।
12.
पुष्प के चारो भाग पुटचक्र, दलचक्र, पुमंग तथा जायांग इसमें पाएँ जाते हैं।
13.
पुष्प के चारो भाग पुटचक्र, दलचक्र, पुमंग तथा जायांग इसमें पाएँ जाते हैं।
14.
पुष्प के चारो भाग पुटचक्र, दलचक्र, पुमंग तथा जायांग इसमें पाएँ जाते हैं।
15.
परिदल और पुमंग के बीच विभिन्न रूप के मकरंदकोश स्थित रहते हैं, जो दलों के परिवर्तित रूप माने जाते हैं।
16.
परिदल और पुमंग के बीच विभिन्न रूप के मकरंदकोश स्थित रहते हैं, जो दलों के परिवर्तित रूप माने जाते हैं।
17.
ऐकोनाइटम तथा डेलफीनियम में एकयुग्गी पुष्प होता है, जिसके पुमंग प्राय: आठ एवं कुंतल, परागकोश बहिर्मुखी, जायांग आठ तथा पृथक् अंडप होता है।
18.
ऐकोनाइटम तथा डेलफीनियम में एकयुग्गी पुष्प होता है, जिसके पुमंग प्राय: आठ एवं कुंतल, परागकोश बहिर्मुखी, जायांग आठ तथा पृथक् अंडप होता है।
19.
लौंग के चार नुकीले भाग बाह्यदल (sepal) हैं तथा अंदर के गोल हिस्से में दल (petal) और उनसे ढँका हुआ आवश्यक भाग है, पुमंग (ardroecium) एवं जायांग (gynaeceum) ।