प्यूरिन में ऐडिनिन (Adenine) और ग्वानिन (Guanine) होते है और पिरिमिडीन में थाइमीन (Thymine) और साइटोसिन (Cytosine) ।
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[15] कुछ रोगियों में सीमित सफलता के साथ अनेक विभिन्न प्रकार के उपचारों के प्रयास किये जा चूके हैं: प्यूरिन समधर्मी (पेन्टोस्टैटिन, फ्लुडैरैबाईन, क्लैड्रीबाईन), क्लोरैम्बुसिल और
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डी ए न ए (D N A) अणु की संरचना में चार कार्बनिक समाक्षार सम्मिलित होते हैं: दो प्यूरिन (purines), दो पिरिमिडीन (pyrimidines), एक चीनी-डिआक्सीरिबोज (Deoxyribose) और फासफ़ोरिक अम्ल (Phosphoric acid) ।
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कुछ रोगियों में सीमित सफलता के साथ अनेक विभिन्न प्रकार के उपचारों के प्रयास किये जा चूके हैं: प्यूरिन समधर्मी (पेन्टोस्टैटिन, फ्लुडैरैबाईन, क्लैड्रीबाईन), क्लोरैम्बुसिल और सम्मिश्रण कीमोथेरेपी के विभिन्न प्रकार (साइक्लोफॉस्फेमाईड, डॉक्सोरूबिसिन, विन्क्रिस्टाईन, प्रेड्निसोन 1, साइक्लोफॉस्फेमाईड, विन्क्रिस्टाईन, प्रेड्निसोन 2, विन्क्रिस्टाईन, डॉक्सोरूबिसिन, प्रेड्निसोन, ईटोपोसाईड, साइक्लोफॉस्फेमाईड, ब्लियोमाईसिन 3).
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इस क्रिया में ग्लाइकोलिसिस का अंत पदार्थ पाइरूविक अम्ल पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड और जल में बदल जाता है तथा ऐसे अनेक पदार्थों का निर्माण होता है जिनका उपयोग अन्य जैव-रासायनिक परिपथों में अमीनो अम्ल, प्यूरिन, पिरिमिडिन, फैटी अम्ल एवं ग्लूकोज आदि के निर्माण में होता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।