उन दोनों चुंबकीय क्षेत्रों के कारण चुंबकीय सूई पर दो विपरीत दिशा में घुमानेवाले बलयुग्म कार्य करते हैं।
12.
जितने समय तक वह बलयुग्म कार्य करता रहेगा उतने समय तक उस पिंड का कोणीय वेग बढ़ता ही जायगा।
13.
जितने समय तक वह बलयुग्म कार्य करता रहेगा उतने समय तक उस पिंड का कोणीय वेग बढ़ता ही जायगा।
14.
धुरी के दोनों सिरों पर दो बल F और F इस प्रकार कार्य कर रहे हैं कि उनसे एक बलयुग्म का निर्माण होता है।
15.
हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म
16.
हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म
17.
हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म
18.
चुंबकीय क्षेत्र में रखी हुई किसी कुंडली में जब विद्युत्धारा प्रवाहित होती है, तो कुंडली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जिसस वह घूमने लगती है।
19.
बढ़ाकर भी घूर्णक्षस्थापी के कोणीय संवेग में बहुत अधिक सीमा तक वृद्धि की जा सकती है इससे घूर्णक्षस्थापी पर किसी अल्पायु बाह्य बलयुग्म का प्रभाव नहीं पड़ सकता।
20.
M और m हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म