स्वीट्स्टर 1990) एवं गुणोक्ति अलंकार, (राड्डेन, पेन्थर, थोर्नबर्ग, बार्सीलोना) उन्हें बोधात्मक भाषाविज्ञान में पुनर्स्थापित किया गया है।
12.
ये आंशिक समूह होते हैं जिनमें तत्व होते हैं और इनकी संरचना ढ़ांचों एवं बोधात्मक प्रारूपों के द्वारा होती है।
13.
(लाकौफ़ व जान्सन, 1999) भाषा के संगठन में मौलिक भूमिका निभानेवाली बोधात्मक क्षमता किसी भाषा विशेष से संबद्ध नहीं होती।
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(लाकौफ़ व जान्सन, १९९९) भाषा के संगठन में मौलिक भूमिका निभानेवाली बोधात्मक क्षमता किसी भाषा विशेष से संबद्ध नहीं होती।
15.
यह किसी खास सांस्कृतिक प्रारूप एवं बोधात्मक संसाधनों वाली किसी खास संदर्भ में अर्थ की संरचना के लिए प्रेरित करती है।
16.
बोधात्मक भाषाविज्ञान का सैद्धान्तिक अंतर्ज्ञान बहु-संदर्भों में गहन आगमनात्मक निरीक्षण और मनोविज्ञान व स्नायविक विज्ञान में किए गए प्रयोगों पर आधारित है।
17.
भाषा की इन विशेषताओं के पीछे, बोधात्मक भाषाविज्ञान ने लगातार ज्यादा सामान्य बोधात्मक प्रक्रियाओं के कार्य के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
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भाषा की इन विशेषताओं के पीछे, बोधात्मक भाषाविज्ञान ने लगातार ज्यादा सामान्य बोधात्मक प्रक्रियाओं के कार्य के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
19.
इस प्रकार, बोधात्मक भाषाविज्ञान का एक बड़ा अंश अर्थ की सृजनात्मक ऑन-लाईन संरचना पर केन्द्रित हैं क्योंकि संवाद संदर्भ में प्रकट होता है।
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इस प्रकार, बोधात्मक भाषाविज्ञान का एक बड़ा अंश अर्थ की सृजनात्मक ऑन-लाईन संरचना पर केन्द्रित हैं क्योंकि संवाद संदर्भ में प्रकट होती है।