अगर सी-3 के स्तर पर या उससे ऊपर फ़ालिज मार जाता है तो मध्यच्छद तंत्रिका (फ्रेनिक नर्व) उद्दीपित नहीं होती और डाइएफ्रैम काम नहीं करता और सांस लेने के लिए यांत्रिक सहायता-यानी संवातक (वेंटिलेटर) की ज़रूरत पड़ती है।
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एक और तकनीकी श्वसन में छाती में मध्यच्छद तंत्रिका (फ्रेनिक नर्व) को उद्दीपन देने के लिए एक विद्युतीय यंत्र लगा दिया जाता है ताकि वह डायएफ्रैम को नियमित रूप से संकेत दे और वह सिकुड़े और फेफड़ों में हवा भरे।
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एक और तकनीकी श्वसन में छाती में मध्यच्छद तंत्रिका (फ्रेनिक नर्व) को उद्दीपन देने के लिए एक विद्युतीय यंत्र लगा दिया जाता है ताकि वह डायएफ्रैम को नियमित रूप से संकेत दे और वह सिकुड़े और फेफड़ों में हवा भरे।
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अगर सी-3 के स्तर पर या उससे ऊपर फ़ालिज मार जाता है तो मध्यच्छद तंत्रिका (फ्रेनिक नर्व) उद्दीपित नहीं होती और डाइएफ्रैम काम नहीं करता और सांस लेने के लिए यांत्रिक सहायता-यानी संवातक (वेंटिलेटर) की ज़रूरत पड़ती है।