में पहुँच जाते हैं जहाँ अधिकतर पाचन होता है, केवल तरल पदार्थ ही पेषणी द्वारा मध्यांत्र में पहुँचते हैं जहाँ केवल अवशोषण होता है।
12.
ऐलैंटोइस मध्यांत्र के पिछले भाग से एक डाइवर्टिकुलम (Diverticulum) के रूप में उत्पन्न होता है और इस अतिरिक्त भ्रूण सीलोम के भीतर प्रसारित होता है।
13.
ये किण्वज अन्नग्रह (Crop) में पहुँच जाते हैं जहाँ अधिकतर पाचन होता है, केवल तरल पदार्थ ही पेषणी द्वारा मध्यांत्र में पहुँचते हैं जहाँ केवल अवशोषण होता है।
14.
मनुष्यों में, छोटी आंत को आगे फिर पाचनांत्र, मध्यांत्र और क्षुद्रांत्र में विभाजित किया गया है, जबकि बड़ी आंत को अंधात्र और बृहदान्त्र में विभाजित किया गया है.
15.
मनुष्यों में, छोटी आंत को आगे फिर पाचनांत्र, मध्यांत्र और क्षुद्रांत्र में विभाजित किया गया है, जबकि बड़ी आंत को अंधात्र और बृहदान्त्र में विभाजित किया गया है.
16.
मोड़ या ग्रहणी स्विच (छोटी आंत का हिस्सा), और दूसरों (जैसे मध्यांत्र एवं इलियम से सम्बन्धित बाईपास, छोटी आंत के एक खंड के एक बाईपास के रूप में) शामिल हैं.
17.
ये किण्वज अन्नग्रह (Crop) में पहुँच जाते हैं जहाँ अधिकतर पाचन होता है, केवल तरल पदार्थ ही पेषणी द्वारा मध्यांत्र में पहुँचते हैं जहाँ केवल अवशोषण होता है।
18.
अग्र और पश्चांत्र शरीरभित्ति के भीतर भित्ति भीतर की ओर महीन बाह्यत्वक् से ढकी रहती है, किंतु मध्यांत्र थैली के समान पृथक विकसित होता है और अग्रांत तथा पश्चांत्र को जोड़ता है।
19.
अग्र और पश्चांत्र शरीरभित्ति के भीतर भित्ति भीतर की ओर महीन बाह्यत्वक् से ढकी रहती है, किंतु मध्यांत्र थैली के समान पृथक विकसित होता है और अग्रांत तथा पश्चांत्र को जोड़ता है।
20.
मध्यांत्र में ये किण्वज पाये जाते हैं-एमाइलेस, इनवर्टेस (envertase), मालटेस (Maltase), प्रोटियेस (Protease), लाइपेस (Lipase) और हाइड्रोलाइपेस (Hydrolipase) ।