मध्यांत्र में ये किण्वज पाये जाते हैं-एमाइलेस, इनवर्टेस (
2.
मध्यांत्र छोटी होती है तथा इसमें से प्राय उंडुक (सीका,
3.
मध्यांत्र के अगले सिरे पर एक जोड़ी या अधिक यकृत (
4.
अवशोषण ज्यादातर ग्रहणी और मध्यांत्र (Jejunum) में होता है।
5.
शेषान्त्र अथवा आन्त्रावरोध संबंधी बाईपास, मध्यांत्र एवं इलियम से सम्बन्धित, ऊर्ध्वाधर बंधी
6.
मध्यांत्र छोटी होती है तथा इसमें से प्राय उंडुक (सीका, Caeca) निकले रहते हैं।
7.
मध्यांत्र छोटी होती है तथा इसमें से प्राय उंडुक (सीका, Caeca) निकले रहते हैं।
8.
मध्यांत्र में ये किण्वज पाये जाते हैं-एमाइलेस, इनवर्टेस (envertase), मालटेस (Maltase), प्रोटियेस (Protease), लाइपेस (Lipase) और हाइड्रोलाइपेस (Hydrolipase)।
9.
कुछ डेकापोडा में मध्यांत्र बहुत छोटी होती है जिसके कारण आहारनली केवल अग्र तथा पश्च आंत्र की बनी विदित होती है।
10.
छोटी आंत के मध्यांत्र और शेषांत्र दोनों भाग पेरिटोनियम की एक मुड़ी हुई परत द्वारा पेट की पश्च भित्ति से लटके रहते हैं।