इन ग्रंथियों में श्लेष्मिक, पेप्टिक, ऑक्सटिक और पार्श्विक कोशिकाएं पाई जाती है जो क्रमशः म्यूसिन, पेप्सीनोजन या पेप्सिन एंजाइम और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव करती है।
12.
टायलिन भोजन की मण्ड को शर्करा में परिवर्तित करता है और म्यूसिन लुग्दी को चिकना बनाता है, जिससे भोजन सुगमतापूर्वक ग्रसिका की क्रमाकुंचन गति के द्वारा आमाशय में पहुँच जाता है।
13.
आंवला अपने विशेष रसायन से आमाशय की श्लेष्मिक कला पर म्यूसिन और एल्यूमिन को मिला कर एक परत सी बना देता है, जिससे श्लेष्मिक कला का कोमल भाग जठर रस और अम्ल के प्रभाव से बचने लग जाता है।