वाणी गीत ने कहा था न “ आप जैसे यायावार सारे रोमांच की ऐसी तैसी कर देते हैं:) ” उन्हे मेरा निमंत्रण देना और कहना कि अपने साथ सारा गढ़ घुमाऊंगी, मान-मनुहार भी करुंगी और रोमांच खत्म नहीं होने दूंगी, ये मेरा पक्का वादा रहा है।
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अगर रानावि का स्तर इतना खराब हो गया है तो फ़िर यह “ यायावर ” नामक यात्रा निकालने की जरूरत क्या थी, हम सब जानते है कि यायावार की जिंदगी और क्वालिटी बहुत ही शोचनीय होती है पर यह दंश और पीड़ा आम दर्शक क्यों झेले............... यह भी सवाल है........