लेखक: यायावार:: अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2007::
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बवाड़ी (1), माया पांडे (2), मुकुल (1), मुकेश नौटियाल (3), चन्द्रसिंह यायावार (2), योगेश चन्द्र
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राम सनेही लाल शर्मा “ यायावार ” का शेर है-हमने शीशे के घरोंदे पर अभी चन्दन मला है, और उनके हाथ में पत्थर नहीं पूरी शिला है ।
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उनके नेतृत्व में दमित चेतनाओं को स्वर देने की जो डगर ‘ हंस ' ने पकड़ी, उसपर साथ देने के लिए नए और समर्पित यायावार पहले से ही प्रतीक्षारत थे.
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भाव में. भाषा में. चिंतन में. गहराई में. अशोक वाजपेयी ने ‘ रूपं शून्यं शून्यं रूपं ' की भूमिका में लिखा है, कृष्णनाथ बहश्रुत यायावार और बौद्ध विद्वान के रूप में सुप्रतिष्ठित हैं.
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जोशी (2), भुवन बिष्ट (10), भुवन शर्मा (1), मदन चन्द्र भट्ट (2), मनोहर चमोली (1), मयंक पांडे (2), महेश जोशी (42), महेश पुनेठा (4), महेश पोखरिया (1), महेश बवाड़ी (1), माया पांडे (2), मुकुल (1), मुकेश नौटियाल (3), चन्द्रसिंह यायावार (2), योगेश