पी. डब्ल्यू-5 के द्वारा अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पीडिता के योनिस्राव में शुक्राणू का न मिलने का कारण विलंब से योनिस्राव का लिया जाना हो सकता है, सफाई करने के बाद यदि योनिस्राव लिया जाये तब भी शुक्राणू नहीं मिल सकता है।
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पी. डब्ल्यू-5 के द्वारा अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पीडिता के योनिस्राव में शुक्राणू का न मिलने का कारण विलंब से योनिस्राव का लिया जाना हो सकता है, सफाई करने के बाद यदि योनिस्राव लिया जाये तब भी शुक्राणू नहीं मिल सकता है।
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पीडिता की चिकित्सीय परीक्षण आख्या प्रदर्श क-3 पूरक चिकित्सीय परीक्षण आख्या प्रदर्श क-4 व योनिस्रावके सम्बन्ध में पैथालाजी रिपोर्ट प्रदर्श क-2 व पी. डब्ल्यू-5 पैथालाजिस्ट डा0 रवीन्द्र सिंह व पी. डब्ल्यू-6 डा0 सन्ध्या सिंह के बयान के अनुसार पीडिता के योनिस्राव में कोई शुकाणु नहीं पाया गया और उसकी चिकित्सीय परीक्षण आख्या से उसके अन्दरूनी हिस्सों पर न तो कोई रक्तस्राव और न ही चोट का कोई निशान पाया गया।
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स्वाभाविक है कि इतने लंबे अंतराल में पीडिता पेशाब जैसी नैतिक क्रिया से एक बार नहीं बल्कि कईबार गुजर चुकी होगी और इससे, जैसा कि पी. डब्ल्यू-5 का बयान है, यह भी स्वाभाविक है कि अभियुक्त के द्वारा पीडिता के साथ किये गये सम्भोगसे पीडिता की योनि में मौजूद शुक्राणू उक्त नैतिक क्रियाओं के दौरान साफ हो गये हों, इस कारण यदि पीडिता के योनिस्राव परीक्षण से कोई शुक्राणू नहीं पाया गया तो इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि अभियुक्त के द्वारा पीडिता के साथ सम्भोग किया ही न गया हो।