2. मध्यगत-वायुराशि के निजी मूल गुणों के समाप्त हो जाने पर, आक्रांत भूमि की वायु में परिवर्तन होनेवाली अवस्था।
12.
वायुराशि अधिक समय तक अपने उत्पत्ति स्थान पर नहीं ठहर सकती है, बल्कि शीघ्रता से बाहर की ओर चलना प्रारंभ कर देती है।
13.
वायुराशि अधिक समय तक अपने उत्पत्ति स्थान पर नहीं ठहर सकती है, बल्कि शीघ्रता से बाहर की ओर चलना प्रारंभ कर देती है।
14.
प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र इस प्रकार की वायुराशि की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त स्थान है, जैसे वायुराशि के प्रमुख क्षेत्र कैनाडा का हिमाच्छादित ध्रुववृत्तीय मैदान, शीतकाल में साइबेरिया, उष्ण कटिबंधी महासागरों के विस्तृत क्षेत्र तथा गरम एवं शुष्क सहारा क्षेत्र।
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प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र इस प्रकार की वायुराशि की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त स्थान है, जैसे वायुराशि के प्रमुख क्षेत्र कैनाडा का हिमाच्छादित ध्रुववृत्तीय मैदान, शीतकाल में साइबेरिया, उष्ण कटिबंधी महासागरों के विस्तृत क्षेत्र तथा गरम एवं शुष्क सहारा क्षेत्र।
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प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र इस प्रकार की वायुराशि की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त स्थान है, जैसे वायुराशि के प्रमुख क्षेत्र कैनाडा का हिमाच्छादित ध्रुववृत्तीय मैदान, शीतकाल में साइबेरिया, उष्ण कटिबंधी महासागरों के विस्तृत क्षेत्र तथा गरम एवं शुष्क सहारा क्षेत्र।
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प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र इस प्रकार की वायुराशि की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त स्थान है, जैसे वायुराशि के प्रमुख क्षेत्र कैनाडा का हिमाच्छादित ध्रुववृत्तीय मैदान, शीतकाल में साइबेरिया, उष्ण कटिबंधी महासागरों के विस्तृत क्षेत्र तथा गरम एवं शुष्क सहारा क्षेत्र।
18.
इनकी उत्पत्ति प्रायः उष्ण वाताग्र पर होती है, जहाँ उष्ण वायुराशि अपेक्षाकृत ठंडी वायुराशि के संपर्क में आकर उस पर चढ़ने लगती है, यह आरोहण झटके से न होकर धीरे धीरे ढालू पथ पर होता है, परिणामस्वरूप उसकी जलवाष्प विस्तृत क्षैतिज क्षेत्रफल पर एकसमान रुप से फैले हुए बादल बनाती है।
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इनकी उत्पत्ति प्रायः उष्ण वाताग्र पर होती है, जहाँ उष्ण वायुराशि अपेक्षाकृत ठंडी वायुराशि के संपर्क में आकर उस पर चढ़ने लगती है, यह आरोहण झटके से न होकर धीरे धीरे ढालू पथ पर होता है, परिणामस्वरूप उसकी जलवाष्प विस्तृत क्षैतिज क्षेत्रफल पर एकसमान रुप से फैले हुए बादल बनाती है।