कट-पेस्टिय टिप्पणी:) वाह्! क्या जमाल है...ओह्! सोरी..क्या कमाल है! क्या कहानी है, क्या कहानीकार है, क्या गीतकार है,क्या एक्टर है...वगैरह..वगैरह..वगैरह वैसे कहानी में तो नहीं..
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धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम कलयुग के इस दौर में चुप बैठे हैं राम... वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक..
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ताऊ अनन्त...ताऊ कथा अनन्ता!!! भई वाह्! बहुत ही बढिया...ये बात तो माननी पडेगी कि आपने बहुत ही बेहतरीन तरीके से इस संकलन को तैयार किया है ।
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“अस्तित्व रक्षण समिति” हा हा हा!! वाह्! समीर जी, क्या नाम सोचा है!!!इससे पहले कि कहीं देर हो जाए,इस प्रकार की किसी संस्था/समिति का निर्माण कर ही देना चाहिए।
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ललित शर्मा:-ठहरिए आता हूँ! “अरे वाह्! मिश्रा जी.....आईये आईये...धन्यभाग हमारे जो आप पधारे! आईये बैठिए...मिश्रा जी आसन ग्रहण कर लेते हैं तो ललित जी अपनी धर्मपत्नि को आवाज लगाते हैं।
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ललित शर्मा:-ठहरिए आता हूँ! “अरे वाह्! मिश्रा जी.....आईये आईये...धन्यभाग हमारे जो आप पधारे! आईये बैठिए... मिश्रा जी आसन ग्रहण कर लेते हैं तो ललित जी अपनी धर्मपत्नि को आवाज लगाते हैं।
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ललित शर्मा:-ठहरिए आता हूँ! “अरे वाह्! मिश्रा जी.....आईये आईये...धन्यभाग हमारे जो आप पधारे! आईये बैठिए... मिश्रा जी आसन ग्रहण कर लेते हैं तो ललित जी अपनी धर्मपत्नि को आवाज लगाते हैं।
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वाह्! पंडीत जी आज तो ब्लाग पे मानो ज्ञान की गंगा बह रही है/ये तो जीवन के स्वर्णिम सूत्र हैं/ प्रणाम/ वाह्! पंडीत जी आज तो ब्लाग पे मानो ज्ञान की गंगा ब...